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भाटापारा रेलवे स्टेशन से चोरी हुई 12 बोर बंदूक, 8 दिन बाद नहर में मिली
भाटापारा रेलवे स्टेशन की सुरक्षा व्यवस्था पर एक बार फिर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं। प्लेटफार्म नंबर 03 से एक सुरक्षा कर्मी की 12 बोर की लाइसेंसी बंदूक सहित बैग चोरी हो गया, लेकिन रेलवे पुलिस (जीआरपी) ने न केवल रिपोर्ट लिखने से इनकार किया, बल्कि सीसीटीवी फुटेज तक देखने की जहमत नहीं उठाई। आठ दिन बाद चोरी हुआ बैग शाखा नहर में मिला, जिससे जीआरपी और आरपीएफ की कार्यशैली पर सवालों का पहाड़ खड़ा हो गया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, श्री सीमेंट कंपनी में कार्यरत सुरक्षा कर्मी किशोर द्विवेदी दीपावली की छुट्टियों में 18 अक्टूबर 2025 को अपने गृह ग्राम जगदीशपुर जाने के लिए भाटापारा रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर 03 पर ट्रेन का इंतजार कर रहे थे। इस दौरान उन्हें हल्की झपकी आ गई और जब आंख खुली तो उनका बैग गायब था। उस बैग में पासबुक, एटीएम कार्ड सहित 12 बोर की लाइसेंसी बंदूक और कारतूस रखे हुए थे। सूत्रों ने बताया कि किशोर द्विवेदी जब चोरी की रिपोर्ट दर्ज कराने जीआरपी चौकी पहुंचे तो वहां तैनात पुलिसकर्मियों ने रिपोर्ट लिखने से मना कर दिया। मजबूर होकर उन्होंने रायपुर जाकर चोरी की रिपोर्ट दर्ज कराई। इधर, 27 अक्टूबर को ग्रामिण थाना भाटापारा को सूचना मिली कि किसी अज्ञात व्यक्ति ने शाखा नहर में कुछ फेंका है। मौके पर पहुंची पुलिस ने जांच की तो वहां से वही 12 बोर की बंदूक बरामद हुई। भाटापारा ग्रामीण थाना प्रभारी लाखेश केवट ने बताया कि नहर से बरामद बंदूक वही है जिसकी रिपोर्ट रायपुर में दर्ज कराई गई थी। फिलहाल पुलिस अज्ञात आरोपी की तलाश में जुटी हुई है।
अब सवाल उठ रहे हैं कि —
जब स्टेशन पर सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं तो फुटेज के जरिए आरोपी की पहचान क्यों नहीं की गई?
यात्रियों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार जीआरपी और आरपीएफ आखिर कर क्या रहे थे?
क्या “स्मार्ट स्टेशन” का टैग सिर्फ कागजों पर सिमट कर रह गया है?
स्थानीय लोगों और यात्रियों का कहना है कि यदि समय रहते जीआरपी ने कार्रवाई की होती, तो बंदूक जैसी संवेदनशील वस्तु नहर में नहीं पहुंचती। घटना को दबाने की कोशिश में जीआरपी की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं।
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