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Gorakhpur: एक महीने से चोरी की कर रहा था साजिश...डबल मर्डर में खुलासा!
Video Published by: पंखुड़ी श्रीवास्तव Updated Mon, 08 Dec 2025 12:28 PM IST
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गोरखपुर के शाहपुर क्षेत्र के घोषीपुरवा में हुई सनसनीखेज मां-बेटी हत्याकांड की परतें खुलने के बाद मोहल्ले के लोग स्तब्ध हैं। जिस रजत को विमला और उनकी मां शांति देवी बेटे जैसा मानती थीं, वही उनका हत्यारा निकला। तीनों अक्सर रात में साथ बैठकर शराब पीते थे और इसी नजदीकी का फायदा उठाते हुए रजत लंबे समय से उनके घर में रखे पैसों और गहनों पर नजर रखे हुए था।
योजना के तहत पहुंचा था घर
रजत ने पुलिस को बताया कि 23 नवंबर की रात वह रम की बोतल लेकर विमला के घर पहुंचा। बाहर कमरे में लेटी शांति देवी ने हमेशा की तरह उसे बेटे की तरह बुलाया। अंदर विमला मौजूद थीं, जिन्होंने रजत की मां को फोन कर पराठे बनवाए और कुछ देर बाद खुद जाकर पराठे ले आईं।
रजत ने शराब के पैग बनाए, लेकिन नशा विमला पर उतना असर नहीं कर पाया। वह दोनों को नशे में अचेत कर चोरी करना चाहता था। जब योजना फेल होती दिखी, तो उसने मौका देखकर कमरे में पड़े हथौड़े से विमला पर ताबड़तोड़ वार कर दिए। चीखें उठीं, लेकिन वह तब तक प्रहार करता रहा जब तक विमला की मौत नहीं हो गई।
चीखों से सतर्क हुई शांति देवी ने बाहर से पूछा—“क्या हुआ?”
रजत को डर था कि पहचान उजागर हुई तो पकड़ा जाएगा। इसलिए उसने उसी हथौड़े से शांति देवी पर भी हमला कर उनकी हत्या कर दी।
अमंगल के बाद लूट और फिर ‘सामान्य दिन’
दोनों की हत्या के बाद रजत ने अलमारी से नकदी, गहने निकाले और विमला के हाथों से ब्रेसलेट व अंगूठी उतार ली। फिर घर जाकर ऐसे सो गया मानो कुछ हुआ ही न हो।
अगले दिन वह मोहल्ले में सामान्य की तरह घूमता रहा, यहां तक कि मां-बेटी के अंतिम संस्कार में रोता-बिलखता भी शामिल हुआ, ताकि किसी को शक न हो। जब सुशीला लखनऊ से लौटीं, तब भी वह उनके साथ रहा।
10 दिन की पूछताछ के बाद सच सामने आया
पिछले दस दिनों में पुलिस ने 100 से अधिक लोगों से पूछताछ की। लगातार दबिशों से मोहल्ले में बेचैनी बढ़ने लगी थी। जब पुलिस मोहल्ले में जानकारी जुटा रही थी, तब सबसे पहले रजत के पिता और पार्षद प्रतिनिधि ने पुलिस को महत्वपूर्ण सूचना देकर संदेह की दिशा साफ करने में बड़ी भूमिका निभाई।
बेहद सीधा दिखने वाला चेहरा, भीतर लालच की परत
मोहल्ले वालों का कहना है कि रजत को देखकर कभी नहीं लगता था कि वह ऐसी वारदात कर सकता है।
विमला का उसके घर आना-जाना था, और शांति देवी भी उसे बेटे की तरह मानती थीं। सुशीला के आने पर भी वह सहजता से परिवार के बीच घुला-मिला रहा, जिससे शक की कोई गुंजाइश नहीं बची।
आर्थिक तंगी नहीं, बस लालच
रजत दो बहनों के बीच इकलौता बेटा है। परिवार के अनुसार उसे किसी तरह की आर्थिक कमी नहीं थी। उसने एक साल पहले ही कार भी खरीदी थी। इसके बावजूद गलत संगत में पड़कर वह रुपयों का लालची हो गया और अंततः दो हत्याएं और लूट जैसा कदम उठा लिया।
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