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झज्जर में अमर उजाला फाउंडेशन की तरफ से आयोजित दोस्त पुलिस कार्यक्रम में छात्राओं ने पूछे बेबाक होकर सवाल
मैम रेप के आरोपी को सीधे फांसी क्यों नहीं दी जाती, दादी भी मम्मी को ताने मारती है क्या करे, क्या हत्या प्रयास केस में भी जेल होती है। यह सवाल शहीद रमेश कुमार राजकीय माडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय की छात्राओं ने महिला थाना प्रभारी डाॅ. किरण देवी से किए। अमर उजाला फाउंडेशन की तरफ से दोस्त पुलिस कार्यक्रम के तहत स्कूल की नौवीं से बारहवीं की छात्राओं ने महिला थाने का दौरा किया, जहां छात्राओं ने अपने सवाल बेबाकी से महिला थाना प्रभारी डॉ. किरण से पूछे, जिनका जवाब देते हुए महिला थाना प्रभारी ने छात्राओं की जिज्ञासाओं को शांत किया।
महिला थाना प्रभारी डॉ. किरण देवी ने बताया कि किसी भी अपराध की सजा पुलिस तय नहीं करती। जिस श्रेणी में अपराध होता है, उसमें पुलिस एफआईआर दर्ज करती है। उसके बाद आरोपी को पकड़कर कोर्ट में पेश किया जाता है। यदि आरोपी से कोई बरामदगी करनी होती है तो उसका रिमांड मांगा जाता है अन्यथा अदालत उसे जेल भेज देती है। पोक्सो के कई मामलों में अपराधी को फांसी की सजा तक हो सकती है, लेकिन मानव अधिकारों के चलते अपराधी अपील कर सकता है। यह ऊपरी कोर्ट से लेकर राष्ट्रपति तक सजा कम करने या माफ करने की अपील कर सकता है। यह उसके सजा काटने के दौरान चरित्र पर भी निर्भर करता है।
उन्होंने बताया कि घरेलू हिंसा का हमेशा विरोध करना चाहिए। चाहे वह मां पर हो या दादी पर या किसी अन्य पर हाे। यदि आपकी माता भी दादी को प्रताड़ित करती है तो वह गलत है और दादी आपकी मां को किसी भी तरह की हिंसा से प्रताड़ित करती है तो वह भी गलत है। यह क्राइम है। इसलिए आपका भी फर्ज बनता है कि घरेलू हिंसा न होने दें और ऐसा करने वालों को समझाए कि आप पर पुलिस केस हो सकता है। एक छात्रा ने पूछा कि क्या हत्या प्रयास या किसी घटना के बाद अपराधी को आप जेल में डाल देते हैं। इस पर महिला थाना प्रभारी ने बताया कि वारदात के बाद पुलिस का काम अपराधी को पकड़ना होता है। उसे 24 घंटे तक ही हवालात में रखा जा सकता है। उसके बाद मेडिकल कराकर कोर्ट में पेश किया जाता है। अदालत ही उसे रिमांड या जेल भेजने का फैसला सुनाती है।
उन्होंने छात्राओं से अपील की कि यह उम्र आपके पढ़ने-लिखने की है, इसलिए उस पर ज्यादा फोकस करें। मोबाइल, इंटरनेट की दुनिया में मत जिये। आपका एक गलत कदम आपके परिवार को ठेस पहुंचा सकता है। इसलिए यदि कोई गलत होता देखते हैं तो पहले उसकी जानकारी अपने माता-पिता या शिक्षक को दें। घर के बड़ों को घर से निकलते समय हेलमेट और सीट बेल्ट लगाने के लिए कहे। आपके दो शब्द उनकी जिंदगी बचा सकते हैं। उन्होंने साइबर ठगी, यातायात नियमों का पालन करने की भी अपील की। स्कूल प्राचार्य जोगेंद्र सिंह ने अमर उजाला के इस कार्यक्रम की तारीफ की। इस अवसर पर सतबीर सिंह, सरिता, स्कूल शिक्षक प्रवीण खुराना, जयप्रकाश मौजूद रहे।
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