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जींद: धान की फसल पर फिजी वायरस के कहर से बचने के लिए कृषि विभाग ने किया किसानों को जागरूक
हरियाणा और पंजाब के किसानों के लिए इस बार धान की खेती चुनौती बन गई है। खेतों में सदर्न राइस ब्लैक-स्ट्रेक्ड ड्वार्फ वायरस (SRBSDV), जिसे आमतौर पर फिजी वायरस कहा जाता है, तेजी से फैल रहा है। यह वायरस धान की लोकप्रिय किस्मों पूसा-1121, पूसा-1509 समेत कई बासमती व गैर-बासमती किस्मों को प्रभावित कर रहा है। इसमें अधिकारियों ने किसानों को धान में आई बीमारी की रोकथाम के लिए जानकारी दी। डॉ. सुरेंद्र मोर ने कहा कि यह बीमारी व्हाइट-बैक्ड प्लांटहॉपर (WBPH) नामक कीट से फैलती है, जिसकी संख्या जून-जुलाई में अधिक हो जाती है। समय से पहले धान की बुवाई और लगातार एक ही किस्म की खेती भी इसकी बड़ी वजह मानी जा रही है। इस वायरस से पौधों की वृद्धि रुक जाती है, पत्तियां काली-हरी हो जाती हैं, जड़ें सड़ने लगती हैं और पैदावार में 30 से 50 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है। सबसे बड़ी चुनौती यह है कि एक बार फैलने के बाद इसे पूरी तरह नियंत्रित करना मुश्किल हो जाता है। विशेषज्ञ किसानों को सलाह दे रहे हैं कि वे समय-समय पर खेत की निगरानी करें और प्रतिरोधी किस्में अपनाएं। साथ ही पाइमेट्रोजिन व कोलोसाल (ग्रो इंडिगो) के मिश्रण का छिड़काव करने से कीट पर नियंत्रण पाया जा सकता है। किसान इस समस्या से बचाव के लिए ग्रो इंडिगो के विशेषज्ञों से भी मार्गदर्शन ले सकते हैं।
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