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पारंपरिक किताबों की तुलना में वर्चुअल बुक्स खतरनाक, विद्यार्थी के दिल से नहीं होता लगाव
पुस्तकें ज्ञान का भंडार होती हैं। पुस्तकों से ही हमें ज्ञान प्राप्त होता है। किताबें सिर्फ जानकारी का जरिया नहीं, बल्कि एक साथी होती हैं। पुस्तक के बगैर अब जीने की राह आसान नहीं है। लेकिन डिजिटल इंडिया के दौर में किताबें भी डिजिटल हो गई हैं। एक ओर जहां इंटरनेट के बढ़ते प्रयोग से किताबों को ऑनलाइन पढ़ने वालों की संख्या में निरंतर इजाफा हो रहा है, वहीं छपी किताबों की खुशबू के कद्रदानों की भी कमी नहीं है। ऑनलाइन मार्केटिंग ने किताबों की पहुंच को अब बेहद आम कर दिया है। पहले किताबों के प्रेमियों को पुस्तक मेला या चंद बड़ी दुकानों तक पुस्तकों के आने का इंतजार करना पड़ता था, लेकिन ई-कॉमर्स साइटों ने अब पाठकों तक किताबों की पहुंच को बेहद आसान कर दिया है। जिससे छोटे शहरों में भी पाठक और साहित्य प्रेमी किताबें ऑनलाइन खरीदने लगे हैं। विश्व पुस्तक और कॉपीराइट दिवस मौके पर पुस्तकों के प्रति लोगों को आकर्षित और उनमें लगाव उत्पन्न करने के लिए यूनेस्को की ओर से इस बार की थीम “अपने तरीके से पढ़ें” रखा गया है। जिससे बच्चों को उनकी दिलचस्पी के अनुसार पढ़ने की स्वतंत्रता को महत्व देती है।
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