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Bilaspur: राष्ट्रीय राजमार्ग को बाधित करने वाले मां-बेटे पर आठ दिन बाद केस दर्ज
शिमला-धर्मशाला राष्ट्रीय राजमार्ग को अवरुद्ध करने के मामले में पुलिस ने आठ दिन बाद मंगरोट गांव निवासी एक मां-बेटे के खिलाफ पुलिस ने बरमाणा था में मामला दर्ज किया है। लोक निर्माण विभाग की शिकायत पर पुलिस ने यह कार्रवाई की है। पुलिस ने केस दर्ज करने के बाद मंगरोट में दोनों से पूछताछ की और लेकिन उसके बाद हाईवे से झाड़ियां और पत्थर भी हटाए। लेकिन पुलिस की कार्रवाई के कुछ समय बाद व्यक्ति ने फिर से रोड पर पत्थर और झाड़ियां बिछा दी। राजनकांत और उसकी मां ने हाईवे की जमीन को निजी बताते हुए 30 मई को झाड़ियां और पत्थर लगाकर एक लेन को बंद कर दिया था। इससे एक सप्ताह तक हाईवे की एक लेन ठप रही। मामले की शिकायत लोक निर्माण विभाग ने पुलिस को दी थी। शनिवार को बरमाणा पुलिस मौके पर पहुंची और अवरुद्ध लेन को खाली करवाया। बताते चलें कि यह मामला नया नहीं है। दिसंबर 2022 में उच्च न्यायालय के आदेश पर राजनकांत शर्मा के खोखे को हाईवे किनारे से हटाया गया था। इसके बाद बार-बार हाईवे को निजी भूमि बताते हुए अलग-अलग तरीकों से बाधित किया। कभी चूल्हा रखकर चाय बनाई, तो कभी खटिया लगाकर बैठ गया। मार्च 2023 में उसने सड़क पर फिर से खोखा रख दिया था। जनवरी 2024 में प्रशासन की ओर से करवाई गई निशानदेही में पाया गया कि हाईवे की 17 बिस्वा भूमि निजी स्वामित्व वाली है, जो राजनकांत की मां के नाम दर्ज है। लोक निर्माण विभाग ने इस निशानदेही के खिलाफ तहसीलदार कोर्ट में अपील की थी। इसके बाद कोर्ट के निर्देश पर जनवरी 2025 में दोबारा निशानदेही करवाई गई, जिसमें फिर से वही भूमि निजी पाई गई। शनिवार को पुलिस ने राजनकांत और उसकी मां के घर पहुंचकर पूछताछ की। दोनों ने साफ किया कि जब तक उन्हें मुआवजा या विकल्प स्वरूप भूमि नहीं दी जाती, वे सड़क को बार-बार बाधित करेंगे। डीएसपी बिलासपुर मदन धीमान ने कहा कि लोक निर्माण विभाग की शिकायत पर बरमाणा पुलिस ने केस दर्ज किया है। राजनकांत ने कहा कि सड़क उनकी निजी भूमि से होकर निकाली गई है। उन्होंने मांग रखी है कि या तो सरकार उन्हें मुआवजा दे या बदले में अन्य भूमि दे। उनका कहना है कि अगर मांगे पूरी नहीं हुईं तो वे 100 मीटर तक हाईवे की एक लेन को अवरुद्ध ही रखेंगे। राजनकांत का रवैया देखते हुए लगता है कि यह विवाद यहीं खत्म नहीं होगा।
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