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Hamirpur: अब जी का जंजाल नहीं बनेगा उर्दू का रिकार्ड, स्वास्थ्य विभाग को मिला उर्दू ट्रांसलेट करने वाला व्यक्ति
जिला स्वास्थ्य विभाग के पास पुराना रिकार्ड उर्दू में होने के कारण ट्रांसलेट करने की चल रही दुविधा समाप्त हो गई है। विभाग को उर्दू को ट्रांसलेट करने वाला व्यक्ति मिल गया है। उपायुक्त से मंजूरी मिलने के बाद अब इस व्यक्ति की सेवाएं सीएमओ ऑफिस में ली जा रही हैं। विभाग की माने तो जिन व्यक्ति से पहले उर्दू का डाटा ट्रांसलेट करवाया जा रहा था व काफी बुजुर्ग हो चुके थे। इस वजह से उर्दू को हिंदी में ट्रांसलेट करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। मामला प्रशासन के ध्यान में आने के बाद अब एक सेवानिवृत्त कर्मचारी को जिन्हें उर्दू भाषा का बेहतर ज्ञान है, उन्हें ट्रांसलेटर लगाया गया है। बता दें कि जिला स्वास्थ्य विभाग के पास बहुत सा पुराना रिकार्ड उर्दू में है। वर्ष 1998 से लेकर करीब 1960 के दशक तक का रिकार्ड उर्दू में दर्ज है। बताया जाता है कि कांगड़ा जिला के कुछ हिस्से का रिकार्ड भी हमीरपुर में ही दर्ज है। उर्दू भाषा का पूर्व में काफी लोगों को ज्ञान होता था, लेकिन वर्तमान में इसका ज्ञान लोगों को नहीं है। वर्तमान में जिला स्वास्थ्य विभाग के पास लोगों का डाटा हिंदी या अंग्रेजी में दर्ज किया जाता है। पूर्व में उर्दू भाषा में दर्ज रिकार्ड को पढऩे के लिए एक बुजुर्ग व्यक्ति को ढूंढा गया था। यह डिमांड के अनुरूप सीएमओ कार्यालय पहुंचकर उर्दू का रिकार्ड चेक करते थे। कई वर्षों तक इन्होंने अपनी सेवाएं लोगों को मिली हैं। उम्र दराज होने के कारण अब इनकी सेवाएं नहीं ली जा रही। उर्दू को ट्रांसलेट करने वाला व्यक्ति न मिलने से जिला स्वास्थ्य विभाग को काफी मुश्किल पेश आ रही थी। कई लोग अपने बुजुर्गों अथवा पूर्वजों का रिकार्ड अपनी जरूरत अनुरूप निकालने के लिए सीएमओ ऑफिस पहुंचते हैं। जब लोगों को उर्दू का ज्ञान न होने की सूरत में रिकार्ड नहीं मिल पाता तो उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं। विभाग में भी उर्दृू में दर्ज पुराने रिकार्ड को पढऩे वाले कर्मचारी नहीं है। यही कारण है कि उर्दू में दर्ज रिकार्ड को पढऩे में परेशानी होती है। वर्तमान में जिला प्रशासन की मंजूरी के बाद एक सेवानिवृत्त कर्मचारी को यह जि मेवारी सौंपी गई है। हालांकि इन सेवाओं की एवज में इसे रिकार्ड पढऩे पर रुपयों का भुगतान किया जाएगा। यह भुगतान संबंधित रिकार्ड प्राप्त करने वाले व्यक्ति की तरफ से किया जाएगा। प्रशासन ने इसके लिए फीस तय की हुई है। उर्दू को ट्रांसलेट करने वाला व्यक्ति मिलने के बाद सबसे अधिक फायदा आम जनता को होगा, क्योंकि उर्दू को ट्रांसलेट करने वाला व्यक्ति जनता को ढूंढने से भी नहीं मिल पाता। सीएमाओ ऑफिस के पास व्यक्ति का संपर्क है तथा जरूरत पड़ने पर इसे बुलाया जाता है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी हमीरपुर डॉक्टर प्रवीण चौधरी ने कहा कि सीएमओ ऑफिस में पुराने उर्दू के रिकार्ड को पढ़ने वाला व्यक्ति मिल गया है। यह सेवानिवृत्त कर्मचारी है तथा प्रशासन की मंजूरी के बाद इसकी सेवाएं शुरू की गई है। जरूरत पड़ने पर इसे बुलाया जाता है तथा रिकार्ड को ट्रांसलेट करवाया जाता है। इसकी सेवाओं की एवज में इसे लाभार्थी की तरफ से फीस का भुगतान किया जाता है जोकि प्रशासन की तरफ से तय की गई है।
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