मप्र हाईकोर्ट ने जस्टिस विशाल मिश्रा की एकलपीठ ने नाबालिग से दुष्कर्म के आरोप में भोपाल के अधिवक्ता यावर खान के जमानत आवेदन को निरस्त कर दिया है। एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि आवेदक वकालत के नोबल प्रोफेशन से जुड़ा है और उस पर पीड़िता ने सीधे गंभीर आरोप लगाए हैं। आरोपों की विस्तार से जांच की आवश्यकता है, इसलिए आरोपी को जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता है।
गौरतलब हे कि भोपाल के अशोका गार्डन पुलिस ने 2023 में अधिवक्ता यावर खान के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं और पॉक्सो एक्ट के तहत मामला पंजीबद्ध किया था। पुलिस ने आरोपी को 13 सितंबर 2025 को बैरसिया रोड से गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के बाद अधिवक्ता ने जमानत के लिए भोपाल कोर्ट में आवेदन दायर किया था। आवेदन निरस्त होने के कारण आरोप ने हाईकोर्ट की शरण ली थी।
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जमानत आवेदन की सुनवाई के दौरान दलील दी गई कि पुलिस ने प्रकरण दर्ज होने के दो साल बाद उसे गिरफ्तार किया गया है। एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि पीड़ित ने ट्रायल के दौरान अपने बयान में कहा कि यावर खान ने भी उसके साथ अपने ऑफिस में कई बार ज्यादती की है। इसके अलावा आरोपी पर सह अभियुक्तों के साथ मिलाकर पीड़िता को मानव तस्करी में भी घसीटना चाहता था। वह उसका नाम नहीं जानती थी, इसलिए वह उसे पहचान नहीं पाई। ट्रायल प्रक्रिया के दौरान अन्य अधिवक्ता द्वारा यावर खान का नाम लेने से पीड़िता को घटना रिकॉल हुई और फिर उसने आरोपी को पहचाना। एकलपीठ ने आरोप गंभीर होने के कारण विस्तृत जांच की आवश्यकता होने के कारण जमानत देने से इंकार कर दिया।