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Kangra A special meeting of the entire executive committee including the officials of the State Pong Dam Displaced Committee was organized
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Kangra: प्रदेश पौंग बांध विस्थापित समिति के पदाधिकारियों सहित समस्त कार्यकारिणी की विशेष बैठक आयोजित
प्रदेश पौंग बांध विस्थापित समिति के पदाधिकारियों सहित समस्त कार्यकारिणी की विशेष बैठक मंगलवार को राजा का तालाब में प्रधान हंस राज की अध्यक्षता में आयोजित की गई। इस मौके पर समिति ने सुप्रीम कोर्ट में चल रहे केस को लेकर कार्यकारिणी के साथ अपने विचार साझा किए। इस मौके पर समिति प्रधान हंस राज चौधरी ने जानकारी देते हुए बताया कि 55 वर्षों से न्याय की आस में दर-दर भटक रहे पौंग बांध विस्थापितों के मामले सुप्रीम कोर्ट में चल रहे केस की सुनवाई अंतिम चरण में पहुंच गई है। जिसके बेहद सकारात्मक परिणाम जल्द ही पौंग बांध विस्थापितों के लिए आशा की नई किरण के साथ न भूलने वाला खुशी का अविस्मरणीय पल अवश्य देंगे। उन्होंने बताया कि समिति के वकील के अनुसार विस्थापितों को न सिर्फ अब न्याय मिलेगा। अपितु न्याय की आस में जी रही तीसरी पीढी भी अपनी शेष जिंदगी को समृद्ध बनकर जिएगी। उन्होंने कहा कि राजस्थान में भू आबंटन को लेकर उनके पास जानकारी बाद में आती है। उससे पहले ही राजस्थान का भू माफिया प्रदेश में ऐसे विस्थापितों के घरों में पहले ही पहुंच जाता है। और तरह तरह के डर दिखाकर विस्थापितों से हस्ताक्षर करवाकर करोड़ों की भूमि की फाइल को कुछ लाख रुपए में हासिल करके गहरी साजिश रचने पर तुला हुआ है। उन्होंने विस्थापितों को आगाह किया कि ऐसे जालसाजों के बहकावे में न आएं और मूल फाइल को बेचने की बजाए सुप्रीम कोर्ट में दायर केस में अपनी सहभागिता दें। वरिष्ठ उपाध्यक्ष मनोहर लाल कौंडल, वरिष्ठ उपप्रधान बिशंबर पगडोत्रा, कुलदीप शर्मा, मुल्ख राज ने बताया कि राजस्थान सरकार पौंग बांध विस्थापितों के कई मामलों में झूठी साबित हो रही है।कहा कि राजस्थान सरकार हमेशा प्रथम चरण में भूमि नहीं होने का रोना रोती है। जबकि राजस्थान के श्रीगंगानगर में आरक्षित पौंग बांध विस्थापितों की 2 लाख 20 हजार एकड़ भूमि में जैतसर फॉर्म, बांगड़ फार्म में हजारों एकड़ भूमि अभी भी पड़ी हुई है। जबकि श्रीगंगानगर के ही प्रथम चरण में ही पौंग बांध विस्थापितों की अन्य आरक्षित भूमि पर अवैध रूप से भू माफिया बैठा हुआ है।ऐसे में राजस्थान सरकार का घड़ियाली दिखावा कि प्रथम चरण में भूमि नहीं है। उन्होंने कहा कि पीड़ित पौंग बांध विस्थापितों को उपरोक्त स्थानों की भूमि का ही आबंटन कर दिया जाए।तो पौंग विस्थापितों की समस्या का हल चुटकियों में हो जाएगा। यहां पौंग बांध विस्थापितों को भूमि आबंटित करने के उपरांत भी हजारों एकड़ भूमि राजस्थान सरकार के पास बची रहेगी।उन्होंने कहा कि राजस्थान में भू आबंटन को लेकर उनके पास जानकारी बाद में आती है। राजस्थान का भू माफिया ऐसे विस्थापितों के घरों में पहले से ही पहुंच जाता है। और तरह तरह के डर दिखाकर विस्थापितों से हस्ताक्षर करवाकर करोड़ों की भूमि की फाइल को कुछ ही लाख रुपए में हासिल करके गहरी साजिश रचने पर तुला हुआ है। उन्होंने विस्थापितों को आगाह किया कि ऐसे जालसाजों के बहकावे में न आएं और मूल फाइल को बेचने की बजाए सुप्रीम कोर्ट में दायर केस में अपनी सहभागिता दें। समिति ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में दायर केस में विस्थापितों को जल्द ही न्याय के साथ बेहतरीन मुआवजा या प्रथम चरण में भूमि का विकल्प मिल सकता है। ऐसे में जो लोग सुप्रीम कोर्ट में केस करने से वंचित रह गए हैं। वो भी चाहें तो सुप्रीम कोर्ट में चल रहे सामूहिक केस के साथ अपना केस भी दायर कर सकते हैं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में केस दायर में सहभागिता दर्ज करवाने के समिति के किसी भी सदस्य से 10 अगस्त से पहले मिलने की बात कही है। इस मौके पर उपाध्यक्ष प्यारे लाल, सचिव राम स्वरूप, संयुक्त सचिव अशोक कुमार, शाम वशिष्ठ, पुरूषोतम लाल, अजय चौधरी, सुखबीर सिंह, पवन कौंडल, राजकुमार, विजय कुमार, रूप लाल, दीपक कुमार, आर्यन विशेष रूप से उपस्थित रहे।
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