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Mandi Vijendra Mehra said in the name of making business easier the central government is exploiting the laborers
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Mandi: विजेंद्र मेहरा बोले- व्यापार आसान करने के नाम पर केंद्र सरकार कर रही मजदूरों का शोषण
सीटू हिमाचल प्रदेश राज्य कमेटी की बैठक रविवार को मंडी में कॉमरेड तारा चंद भवन में हुई, जिसकी अध्यक्षता राज्य अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने की। बैठक में आंगनबाड़ी, मिड डे मील, निर्माण, मनरेगा, एसटीपी, एम्बुलेंस कर्मचारी, हाईडल, सड़क, आउटसोर्स वर्कर यूनियनों के पदाधिकारियों सहित कुल 45 सदस्य उपस्थित रहे। बैठक में निर्णय लिया गया कि कोडों के विरोध में प्रदेशव्यापी अभियान और संघर्ष छेड़ा जाएगा। 19 दिसंबर को जिला स्तर पर विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे। इसके साथ ही 10 दिसंबर को आंगनबाड़ी वर्कर यूनियन अपनी मांगों को लेकर जिला और परियोजना स्तर पर प्रदर्शन करेगी। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को सुप्रीम कोर्ट के निर्णय अनुसार ग्रेच्युटी जारी न होने के विरोध में भी आंदोलन की रूपरेखा तैयार की गई। मनरेगा और निर्माण मजदूरों की पिछले चार वर्षों से लंबित वित्तीय सहायता जारी न होने पर बैठक में रोष व्यक्त किया गया। बोर्ड द्वारा 31 दिसंबर तक 50 प्रतिशत लाभ जारी करने की समय सीमा तय की गई थी, लेकिन अभी तक मजदूरों को सहायता नहीं मिली है। इसे लेकर हमीरपुर में बोर्ड कार्यालय पर जनवरी के अंतिम सप्ताह से डेरा डालो-घेरा डालो संघर्ष शुरू किया जाएगा। मनरेगा मजदूरों को सौ दिन का काम न मिलने, काम के दिन 200 करने और मजदूरी 500 रुपये दैनिक तय करने की मांग को लेकर 15 जनवरी से खंड स्तर पर अभियान चलाया जाएगा और सामूहिक रूप से रोजगार के लिए आवेदन किए जाएंगे। एम्बुलेंस कर्मचारियों की मांगों के समर्थन में दिसंबर के अंतिम सप्ताह में दो दिन की हड़ताल करने का भी निर्णय लिया गया जिसकी तिथि यूनियन की राज्य कमेटी तय करेगी। आउटसोर्स मजदूरों को स्थायी करने के लिए नीति बनाने तथा सेवा मित्रों की भर्ती की जगह स्थायी नियुक्तियां करने की मांग भी उठाई गई। साथ ही एनएच और अन्य निर्माण कार्यों में हिमाचली मजदूरों को 70 प्रतिशत रोजगार देने की मांग भी दोहराई गई। बैठक को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय सचिव डॉ. कश्मीर सिंह ठाकुर ने कहा कि केंद्र सरकार ने 21 नवंबर को चार लेबर कोड लागू करने की अधिसूचना जारी कर दी है। इससे बड़ी कंपनियों और पूंजीपतियों को मजदूरों का शोषण करने की खुली छूट मिल गई है। कहा कि नए कोडों से मजदूरों को नौकरी से निकालना आसान होगा। श्रम न्यायालयों की भूमिका समाप्त हो गई है। यूनियन पंजीकरण के लिए 51 प्रतिशत सदस्यता की अनिवार्यता और यूनियन रद्द करने के बढ़े अधिकार भी मजदूर हितों के खिलाफ बताए गए। बैठक में राज्य महासचिव प्रेम गौतम, उपाध्यक्ष भूपेंद्र सिंह, जगत राम, केवल सिंह, जोगिंद्र कुमार, राजेश ठाकुर, चमन लाल, राजेश शर्मा, गुरदास वर्मा, सुदेश ठाकुर, नीलम जसवाल, बिमला शर्मा, सुदर्शना, अंजुला व अन्य मौजूद रहे।
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