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CM Nitish gave a big gift to these people including the mid-day meal cooks
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CM नीतीश ने मिड डे मील के रसोइयों समेत इन लोगों को दिया बड़ा तौफा
वीडियो डेस्क अमर उजाला डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Fri, 01 Aug 2025 11:48 AM IST
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की आहट के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य के लाखों शिक्षा कर्मियों को बड़ा तोहफा दिया है। मुख्यमंत्री ने शुक्रवार सुबह सोशल मीडिया के जरिए यह ऐलान किया कि मध्याह्न भोजन योजना (MDM) में कार्यरत रसोइयों, विद्यालयों के रात्रि प्रहरियों और शारीरिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य अनुदेशकों के मानदेय को दोगुना कर दिया गया है। जल्द ही इस फैसले पर कैबिनेट की मुहर भी लगने वाली है।
मुख्यमंत्री की यह घोषणा ऐसे समय में आई है जब राज्य में चुनावी तैयारियां जोरों पर हैं और सरकार पर विकास तथा जनहित के कार्यों को लेकर दबाव भी है। ऐसे में इस फैसले को राजनीतिक दृष्टि से भी अहम माना जा रहा है, जो ग्रामीण, गरीब और स्कूल आधारित समुदायों में सीधा संदेश देने वाला कदम है।
मुख्यमंत्री ने लिखा, “शिक्षा विभाग के अंतर्गत मध्याह्न भोजन योजना में कार्यरत रसोइयों के मानदेय में दोगुनी वृद्धि करते हुए 1650 रुपये से बढ़ाकर 3300 रुपये प्रति माह करने का निर्णय लिया गया है।” यह घोषणा राज्य के करीब 2.5 लाख रसोइयों के लिए सीधी राहत है, जो वर्षों से अपने वेतनवृद्धि की मांग कर रहे थे।
रसोइयों का कहना रहा है कि वे दिनभर बच्चों के भोजन की व्यवस्था में लगे रहते हैं, फिर भी उनका मानदेय बेहद कम था। अब उन्हें पहली बार ऐसा सम्मानजनक वेतन मिलने की उम्मीद जगी है।
शिक्षण संस्थानों की सुरक्षा व्यवस्था में तैनात रात्रि प्रहरी यानी नाइट गार्ड्स का मासिक मानदेय अब 5000 रुपये से बढ़ाकर सीधे 10,000 रुपये कर दिया गया है। मुख्यमंत्री ने इसे सुरक्षा व्यवस्था को और बेहतर बनाने की दिशा में जरूरी कदम बताया।
वर्तमान में बिहार के हजारों माध्यमिक एवं उच्च विद्यालयों में रात्रि प्रहरी नियुक्त हैं, जिनकी मांग वर्षों से चल रही थी कि उनके कार्य की गंभीरता को देखते हुए उन्हें न्यूनतम वेतन से ऊपर का मानदेय दिया जाए।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की घोषणा के अनुसार, शारीरिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य अनुदेशकों (फिजिकल ट्रेनर्स) का मानदेय अब 8000 से बढ़ाकर 16,000 रुपये प्रति माह कर दिया गया है। इसके साथ ही इनकी वार्षिक वेतनवृद्धि भी 200 रुपये से बढ़ाकर 400 रुपये कर दी गई है।
इससे पहले भी कई बार इन प्रशिक्षकों ने हड़ताल और प्रदर्शन के जरिए अपनी स्थिति की ओर सरकार का ध्यान खींचा था। माना जा रहा है कि इस फैसले से खेल और स्वास्थ्य शिक्षा के क्षेत्र में स्थायित्व और गुणवत्ता आएगी।
मुख्यमंत्री ने अपने पोस्ट में लिखा कि जब उन्होंने 2005 में सरकार संभाली थी, तब बिहार का शिक्षा बजट केवल 4366 करोड़ रुपये था। अब यह बढ़कर 77,690 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। यह दर्शाता है कि शिक्षा को लेकर सरकार की प्राथमिकता किस हद तक बढ़ी है।
इस दौरान राज्य में शिक्षकों की बड़े पैमाने पर नियुक्ति, विद्यालय भवनों का निर्माण और आधारभूत संरचना के विकास में लगातार काम हुआ है।
नीतीश कुमार ने कहा कि रसोइयों, रात्रि प्रहरियों और फिजिकल ट्रेनर्स की भूमिका को हमेशा नजरअंदाज किया जाता था, जबकि ये लोग शिक्षा व्यवस्था के मजबूत स्तंभ हैं। इसलिए इनका सम्मान और मानदेय बढ़ाना सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी थी।
नीतीश सरकार की यह घोषणा ऐसे समय में आई है जब बिहार में सियासी पारा चढ़ रहा है। विपक्ष लगातार यह आरोप लगाता रहा है कि राज्य सरकार ने निचले स्तर के कर्मियों की अनदेखी की है। ऐसे में यह कदम सामाजिक संतुलन और वर्गीय संतुष्टि की दृष्टि से एक बड़ा संदेश देता है।
विशेष रूप से महिला रसोइयों, ग्रामीण नाइट गार्ड्स और युवाओं में लोकप्रिय फिजिकल ट्रेनर्स को सीधे साधना, सरकारी रणनीति का हिस्सा भी माना जा रहा है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की यह घोषणा सिर्फ मानदेय बढ़ाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह शिक्षा व्यवस्था के असली कार्यकर्ताओं को सम्मान देने की पहल है। यह कदम एक राजनीतिक सूझबूझ और प्रशासनिक संवेदीकरण का संतुलन है, जो चुनावी लाभ से परे, शिक्षा को सशक्त करने की दिशा में एक सकारात्मक प्रयास भी माना जा सकता है।
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