वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भारत से आयात पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की घोषणा भारतीय अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ा सकती है। हालांकि अमेरिका ने भारत समेत कई अन्य देशों पर लगने वाला टैरिफ एक हफ्ते के लिए टाल दिया है। पहले ये टैरिफ 1 अगस्त से लागू होना था, लेकिन अब यह 7 अगस्त से लागू होगा। भारत से आयात पर अमेरिका के 25 फीसदी टैरिफ लगाने पर घरेलू शेयर बाजार और रुपये पर भी असर डाल सकती है। टैरिफ की घोषणा के बाद रुपया बुधवार को टूटकर 88 के करीब रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया। सेंसेक्स और निफ्टी में भी 0.6 फीसदी की गिरावट देखी गई।
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि यह टैरिफ 2025-26 में भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार 0.40 फीसदी तक कम कर सकता है। अमेरिका अतिरिक्त जुर्माना लगाता है, तो भविष्य और भी धुंधला हो सकता है।वोंटोबेल में ईएम इक्विटीज के सह-प्रमुख राफेल लुएशर ने कहा, टैरिफ लागू रहे, तो भारत की विनिर्माण महत्वाकांक्षाओं को झटका लग सकता है। इससे भारत की वृद्धि बाधित हो सकती है।
जानकारों का कहना है कि क्रूड में उछाल और विदेशी निवेशकों की पूंजी निकासी के बाद अमेरिकी टैरिफ से रुपये में और गिरावट आ सकती है। यह 90 का स्तर भी छू सकता है। वहीं, एक अर्थशास्त्री ने कहा कि अमेरिका में नीतिगत अनिश्चितता बढ़ने से भारतीय कंपनियां खासकर अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव में आने वाली इकाइयां निवेश संबंधी फैसले टाल सकती हैं। हालांकि, डीबीएस बैंक के अर्थशास्त्रियों का मानना है कि श्रम-प्रधान उद्योग एवं छोटी निर्यातक कंपनियां राजकोषीय मदद व आगे दरों में कटौती से नकारात्मक जोखिम की भरपाई करने में सक्षम होंगी।
विश्लेषकों का मानना है, टैरिफ के बावजूद भारत में आईफोन का निर्माण करना सस्ता विकल्प ही बना रहेगा। एपल की रणनीति से वाकिफ उद्योग के अधिकारी ने कहा कि एपल की निर्माण योजनाएं लंबी अवधि के लिए बनाई गई हैं। एपल ने अपने भारत निर्यात को लगभग पूरी तरह अमेरिकी बाजार के लिए पुनर्गठित किया है और मार्च और मई के बीच फॉक्सकॉन ने भारत से 3.2 अरब डॉलर मूल्य के आईफोन निर्यात किए हैं, जो सभी अमेरिकी बाजार में उपलब्ध होंगे। एपल के लिए चीन के बजाय भारत अब विनिर्माण में विविधता लाने की उसकी रणनीति का मुख्य आधार है।
जिस अमेरिका की 47 फीसदी दवाओं की जरूरतें भारत से पूरी होती हैं, 25 फीसदी टैरिफ का फैसला उसी पर भारी पड़ सकता है। इससे अमेरिका में जरूरी दवाओं की लागत बढ़ेगी। मरीजों को ज्यादा पैसे देने होंगे। इससे बीमा कंपनियां भी प्रीमियम बढ़ा सकती हैं। अमेरिका को भारत करीब 9 अरब डॉलर का फार्मा निर्यात करता है। अमेरिका में भारत के कुल निर्यात का 28% फार्मा उत्पाद हैं। 80% फार्मा की कच्ची सामग्री अमेरिका में नहीं बनती।