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ED का अनिल अंबानी को समन, छापेमारी के एक हफ्ते बाद किया गया तलब
वीडियो डेस्क अमर उजाला डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Fri, 01 Aug 2025 03:18 PM IST
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देश के प्रमुख उद्योगपतियों में शुमार अनिल अंबानी की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ गई हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उन्हें 5 अगस्त को पूछताछ के लिए तलब किया है। यह समन रिलायंस ग्रुप की कंपनियों पर लगे 10,000 करोड़ रुपये से अधिक की ऋण धोखाधड़ी के आरोपों की जांच के तहत भेजा गया है।
सूत्रों के मुताबिक, अनिल अंबानी को दिल्ली स्थित ईडी मुख्यालय में पेश होने को कहा गया है। एजेंसी धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत उनका बयान दर्ज करेगी। जांच एजेंसी को शक है कि अनिल अंबानी की कंपनियों ने लोन की रकम का गलत तरीके से इस्तेमाल कर उसे अन्य जगहों पर डायवर्ट किया।
इससे पहले ईडी ने 24 जुलाई 2025 से शुरू करके तीन दिन तक रिलायंस समूह की कई कंपनियों और उनसे जुड़े व्यक्तियों के 35 से अधिक ठिकानों पर छापेमारी की थी। ये छापे मुंबई और आसपास के इलाकों में डाले गए थे। कार्रवाई रिलायंस ग्रुप की कंपनियों, उनके शीर्ष अधिकारियों, और वित्तीय सलाहकारों से संबंधित थी।
ईडी को संदेह है कि 2017 से 2019 के बीच, अनिल अंबानी समूह की कंपनियों को यस बैंक की ओर से जो ऋण दिए गए थे, उनमें बड़े स्तर पर वित्तीय अनियमितताएं हुईं। बताया जा रहा है कि इन ऋणों में से लगभग 3,000 करोड़ रुपये का गलत इस्तेमाल हुआ और उन्हें दूसरी कंपनियों में ट्रांसफर कर दिया गया।
सूत्रों की मानें तो ईडी को यह भी जानकारी मिली है कि यस बैंक द्वारा लोन देने से ठीक पहले, बैंक के प्रमोटर्स को कुछ कंपनियों से पैसे मिले। ईडी अब इस पूरे ‘क्विड-प्रो-क्वो’ (लेन-देन की शर्तों पर लाभ) मॉडल की जांच कर रही है।
सवाल ये उठ रहा है कि क्या यस बैंक के अधिकारियों और रिलायंस समूह के बीच कोई अंदरूनी समझौता हुआ था? क्या लोन के बदले में प्रमोटरों को निजी फायदे पहुंचाए गए? ये सारे सवाल अब एजेंसी की जांच के केंद्र में हैं।
इस बीच रिलायंस ग्रुप की कंपनियों, जैसे रिलायंस पावर और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर, ने स्टॉक एक्सचेंज को बताया है कि छापेमारी का उनके संचालन, फाइनेंशियल परफॉर्मेंस, या शेयरधारकों पर कोई असर नहीं पड़ा है। लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि ईडी की यह कार्रवाई लंबे समय तक समूह की ब्रांड छवि पर असर डाल सकती है।
ईडी की इस कार्रवाई की जड़ें भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की हालिया रिपोर्ट में छिपी हैं। 13 जून 2025 को एसबीआई ने अनिल अंबानी और उनकी कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCom) को फ्रॉड की श्रेणी में रखा।
इसके बाद बैंक ने 24 जून को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को इस मामले की सूचना दी और अब CBI में औपचारिक शिकायत दर्ज कराने की तैयारी की जा रही है। बताया जा रहा है कि एसबीआई ने यह कदम RBI के फ्रॉड जोखिम नीतियों और आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर उठाया।
मामला केवल 3,000 करोड़ रुपये के लोन डायवर्जन तक सीमित नहीं है। रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड (RCom) पर कुल मिलाकर 14,000 करोड़ रुपये से अधिक की ऋण धोखाधड़ी का आरोप है।
केनरा बैंक ने भी कंपनी पर 1,050 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी की शिकायत की है। ईडी अब इन सभी आरोपों को समेकित करके एक बड़ी मनी लॉन्ड्रिंग केस की जांच कर रही है।
सूत्रों के अनुसार, ईडी की नजर अब रिलायंस ग्रुप और अनिल अंबानी के विदेशी बैंक खातों और संपत्तियों पर भी है। अघोषित संपत्तियों और टैक्स हैवेन देशों में किए गए निवेश की भी जांच की जा रही है। एजेंसी को शक है कि ऋण की राशि का कुछ हिस्सा भारत से बाहर भेजा गया और उसका खुलासा नहीं किया गया।
सूत्र बताते हैं कि यदि पूछताछ में अनिल अंबानी से संतोषजनक जवाब नहीं मिले तो ईडी उन्हें गिरफ्तार भी कर सकती है। इस बीच, अनिल अंबानी की लीगल टीम ने एजेंसी की कार्रवाई को ‘एकतरफा’ बताते हुए कोर्ट में राहत की तैयारी भी शुरू कर दी है।
अनिल अंबानी, जिनका नाम एक समय भारत के सबसे अमीर उद्योगपतियों में लिया जाता था, अब एक बार फिर कानूनी संकट के घेरे में हैं। ऋणों का डायवर्जन, बैक-टू-बैक ट्रांजैक्शन, विदेशी संपत्तियां और बैंकिंग धोखाधड़ी – इन सब मामलों में यदि आरोप सिद्ध होते हैं, तो यह देश के सबसे बड़े कॉरपोरेट घोटालों में गिना जाएगा।
ईडी की कार्रवाई आने वाले हफ्तों में और तेज हो सकती है। देश भर की निगाहें अब 5 अगस्त की पूछताछ पर टिकी हैं, जब अनिल अंबानी को ईडी के सामने पेश होना है।
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