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H1B Visa: Trump's move shakes America, companies issue strict instructions
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H1B Visa:ट्रंप के कदम से हिला अमेरिका, कंपनियों ने दिया ये सख्त निर्देश
वीडियो डेस्क,अमर उजाला डॉट कॉम Published by: साहिल सुयाल Updated Sat, 20 Sep 2025 09:06 PM IST
अमेरिका में अचानक एक राजनीतिक भूकंप आया। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक नई नीति की घोषणा की अब से H-1B वीज़ा पर सालाना $100,000 (करीब 88 लाख रुपये) की भारी-भरकम फ़ीस लगेगी। यह सिर्फ़ एक प्रशासनिक बदलाव नहीं था, बल्कि हजारों विदेशी पेशेवरों और उन पर निर्भर वैश्विक टेक कंपनियों के लिए एक गहरी चोट थी। घोषणा होते ही भारतीय पेशेवरों के बीच हड़कंप मच गया। हज़ारों इंजीनियर, प्रोग्रामर, डेटा साइंटिस्ट और कंसल्टेंट्स जो अमेरिका में अपने सपनों को जी रहे थे, अचानक अनिश्चितता के अंधेरे में धकेल दिए गए।
नीति का असर इतना त्वरित था कि बड़ी कंपनियों को अपने कर्मचारियों को अल्टिमेटम देना पड़ा। Microsoft ने एक आंतरिक ईमेल भेजकर अपने कर्मचारियों को 24 घंटे की डेडलाइन दी। ईमेल साफ था— “H-1B और H-4 वीज़ा धारकों को तुरंत अमेरिका वापस लौट आना चाहिए। जो पहले से अमेरिका में हैं, वे अभी देश न छोड़ें।” कंपनी जानती थी कि अगर कर्मचारी बाहर फँस गए तो उनकी वापसी लगभग नामुमकिन हो जाएगी। दूसरी ओर, Amazon, जो H-1B वीज़ा धारकों की सबसे बड़ी नियोक्ता है, ने और भी सख़्त लहजे में कहा “यदि आप H-1B पर हैं और अमेरिका से बाहर हैं, तो 21 सितंबर की आधी रात से पहले हर हाल में लौट आएँ। उसके बाद दरवाज़ा बंद हो जाएगा।” JP Morgan Chase ने अपने कर्मचारियों को वकीलों के ज़रिए सलाह दी कि वे किसी भी कीमत पर अंतर्राष्ट्रीय यात्रा से बचें। लॉ फर्म Ogletree Deakins ने ईमेल में लिखा “जब तक सरकार नई गाइडलाइन न दे, तब तक H-1B धारकों को अमेरिका से बाहर निकलना आत्मघाती साबित हो सकता है।”
ट्रम्प प्रशासन की नीति 21 सितंबर 2025 की रात से प्रभावी हो गई। इसका मतलब था कि सिर्फ़ दो दिन का समय बचा था। इमिग्रेशन वकील साइरस मेहता ने चेतावनी दी “जो पेशेवर इस वक़्त छुट्टी या काम से बाहर हैं, वे अगर आधी रात तक वापस नहीं लौट पाए तो हमेशा के लिए फँस सकते हैं। खासकर भारत में मौजूद लोगों के लिए यह लगभग असंभव है, क्योंकि इतनी कम अवधि में कोई सीधी उड़ान समय पर नहीं पहुँच सकती।”इस बयान ने भारतीय पेशेवरों की धड़कनें तेज़ कर दीं।सबसे ज़्यादा असर उन्हीं कंपनियों पर पड़ा जो बड़े पैमाने पर H-1B धारकों पर निर्भर हैं।
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