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नीतीश कुमार ने बढ़ाई पेंशन योजना की राशि
वीडियो डेस्क अमर उजाला डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Sat, 21 Jun 2025 03:29 PM IST
बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने चुनावी मौसम में बड़ा दांव खेला है। सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के तहत मिलने वाली मासिक राशि को ₹400 से बढ़ाकर ₹1100 कर दिया गया है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद इस फैसले की घोषणा की और इसे राज्य के कमजोर वर्गों के लिए एक निर्णायक राहत बताया।
इस योजना के अंतर्गत विधवा महिलाएं, बुजुर्ग और दिव्यांगजन शामिल होते हैं। अब इन सभी लाभार्थियों को जुलाई 2025 से बढ़ी हुई दर पर पेंशन मिलेगी, जो हर महीने की 10 तारीख को सीधे उनके बैंक खातों में भेजी जाएगी।
नीतीश कुमार ने इस निर्णय की जानकारी अपने एक्स (पूर्व ट्विटर) अकाउंट पर साझा करते हुए लिखा –
“मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के तहत विधवा महिलाओं, वृद्धजनों और दिव्यांगजनों को अब हर महीने ₹400 की जगह ₹1100 पेंशन मिलेगी। सभी लाभार्थियों को जुलाई महीने से पेंशन बढ़ी हुई दर पर मिलेगी।”
सीएम ने आगे कहा कि “सभी लाभार्थियों के खातों में यह राशि हर महीने की 10 तारीख को भेजना सुनिश्चित किया जाएगा।”
राज्य सरकार के अनुसार इस फैसले से 1 करोड़ 9 लाख 69 हजार 255 लोगों को सीधा फायदा पहुंचेगा।
यह न सिर्फ एक सामाजिक राहत है, बल्कि राजनीतिक तौर पर भी यह फैसला महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
विपक्ष अक्सर सरकार पर यह आरोप लगाता रहा है कि पेंशन की राशि बहुत कम है और समय पर नहीं मिलती। इस बार सरकार ने दोनों बिंदुओं पर सधा हुआ जवाब दिया है –
राशि तीन गुना से ज्यादा बढ़ा दी गई है और 10 तारीख को निश्चित ट्रांसफर की गारंटी दी गई है।
मुख्यमंत्री ने अपने बयान में कहा –
“वृद्धजन समाज का अनमोल हिस्सा हैं। उनका सम्मानजनक जीवन-यापन सुनिश्चित करना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। राज्य सरकार इस दिशा में निरंतर प्रयत्नशील रहेगी।” उन्होंने स्पष्ट किया कि यह योजना केवल आर्थिक सहायता नहीं, बल्कि राज्य की संवेदनशीलता और सामाजिक प्रतिबद्धता का परिचायक है।
बिहार में चुनावी तैयारियां जोरों पर हैं। ऐसे में नीतीश सरकार का यह फैसला एक बड़ी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। विपक्ष की तमाम आलोचनाओं के बीच यह कदम सीधे ज़मीनी स्तर के मतदाताओं को साधने वाला है – खासकर उन परिवारों को, जिनके पास आय का कोई स्थायी स्रोत नहीं है।
विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में विधवा महिलाएं और वृद्धजन, जिनके पास न नौकरी है, न कोई पेंशन, उनके लिए यह राशि आर्थिक सहारा और आत्मसम्मान दोनों का साधन बन सकती है।
क्यों अहम है यह फैसला?
• पेंशन में 175% से अधिक की वृद्धि की गई है।
• इससे जीवनयापन में थोड़ी आत्मनिर्भरता आएगी।
• सरकार ने पेंशन का समयबद्ध ट्रांसफर सुनिश्चित किया है।
• गरीब और असहाय वर्गों को वास्तविक राहत मिल सकेगी।
• यह फैसला सामाजिक सुरक्षा की दिशा में एक बड़ा कदम है।
राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि इस योजना के अंतर्गत पहले से रजिस्टर्ड लाभार्थियों को कोई नया आवेदन करने की जरूरत नहीं है।
उनके खातों में जुलाई महीने से स्वतः बढ़ी हुई राशि ट्रांसफर की जाएगी।
हालांकि जिन नए लाभार्थियों ने हाल ही में आवेदन किया है, उन्हें योजना में शामिल करने की प्रक्रिया जल्द पूरी की जाएगी। जिला प्रशासन को निर्देश दिए जा चुके हैं कि सभी पात्र लोगों का समय पर सत्यापन हो और किसी को योजना से वंचित न किया जाए।
राज्य के कई हिस्सों से ऐसी कहानियां सामने आती रही हैं, जहां मात्र ₹400 की पेंशन से बुजुर्ग अपनी दवाइयां खरीदते थे, विधवा महिलाएं राशन और घर खर्च का कुछ हिस्सा निकालती थीं, या दिव्यांगजन अपना खुद का छोटा काम शुरू करते थे।
अब जब यह राशि बढ़कर ₹1100 हो जाएगी, तो यह उनके लिए केवल पैसे का नहीं, बल्कि सामाजिक आत्मनिर्भरता का साधन भी बन सकती है।
कई वरिष्ठ नागरिकों का कहना है कि इतनी पेंशन से वे अब दूसरों पर बोझ नहीं रहेंगे।
इस घोषणा के बाद राज्य की राजनीति में भी हलचल तेज हो गई है।
विपक्ष जहां इसे “चुनाव से ठीक पहले की रणनीति” बता रहा है, वहीं जनता दल (यूनाइटेड) और उनके सहयोगी दल इसे “नीतीश मॉडल” का हिस्सा कह रहे हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह फैसला सीधे तौर पर वोट बैंक को प्रभावित करेगा, खासकर ग्रामीण बुजुर्ग, महिलाएं और दिव्यांगजन जो नियमित आय के बिना जीवन बिता रहे हैं।
नीतीश सरकार का यह फैसला सरकार की संवेदनशीलता, सामाजिक जवाबदेही और प्रशासनिक सक्षमता का उदाहरण हो सकता है।
लेकिन चुनावी समीकरणों को देखते हुए, इसका राजनीतिक फायदा उठाना भी सरकार के एजेंडे में है।
बहरहाल, हकदारों तक पेंशन की यह बढ़ी हुई राशि पहुंचेगी, यह सबसे जरूरी बात है।
और अगर इस एक निर्णय से करोड़ों लोगों की जिंदगी थोड़ा आसान हो जाती है, तो इसे एक सराहनीय कदम कहा जा सकता है।
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