पंजाब बाढ़ की त्रासदी से जूझ रहा है। बाढ़ की वजह से कई जिंदगियां खत्म हो गईं, तो लाखों लोग बेघर हो गए हैं। पंजाब के सभी 23 जिले भीषण बाढ़ की चपेट में हैं। 1.74 लाख हेक्टेयर फसल डूब चुकी है। करीब चार लाख लोग बाढ़ से सीधे तौर पर प्रभावित हुए हैं। पंजाब में आई बाढ़ ने धुस्सी बांधों की अहमियत को बढ़ा दिया है। अगर यह बांध न होते तो नुकसान का आंकड़ा कई गुना हो सकता था। पंजाब सरकार ने इस वर्ष 204 करोड़ रुपये खर्च कर धुस्सी बांधों को मजबूत किया था। 1044 चेक डैम भी स्थापित किए गए थे ताकि पानी की प्रवाह की गति को कम किया जा सके लेकिन इस बार पहाड़ों से नदियों व बांधों में इतना अधिक पानी आया कि उसे नदी, नाले व बांध झेल नहीं पाए और ओवरफ्लो हो गए। इससे बाढ़ विकराल हो गई।
इस साल पौंग बांध में 11.70 बिलियन क्यूबिक मीटर (BCM) पानी आया, जो आज तक के बांध के इतिहास में सबसे अधिक है। भाखड़ा में भी रिकार्ड 9.11 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी आया जो 1988 और 2023 में बाढ़ के लगभग बराबर ही है। इस कारण दोनों बांध के गेट बार-बार खोलने पड़े ताकि पानी का दवाब कम किया जा सके। साथ ही इस बार जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश और पंजाब में भी रिकॉर्ड बारिश हुई है, जिस कारण बाढ़ ने यह तबाही मचाई।
विशेषज्ञों के अनुसार धुस्सी बांधों को पहले से मजबूत न बनाया जाता तो यह नुकसान दोगुना होता लेकिन अब सरकार को इस बाढ़ से सबक लेकर अपनी तैयारी और मजबूत करनी होगी ताकि नदी-नालों व बांधों को आगामी वर्षों के मानसून सीजन के लिए तैयार किया जा सके। पंजाब के आठ जिलों में धुस्सी बांधों के टूटने और दरार पड़ने के मामले सामने आए, जिनमें गुरदासपुर, तरनतारन, लुधियाना, अमृतसर, मानसा, पठानकोट, होशियारपुर और फिरोजपुर शामिल हैं। गुरदासपुर में सबसे अधिक 15 जगह धुस्सी बांध टूटने के मामले सामने आए।
इसी तरह अमृतसर में 12, होशियारपुर में 8 और पठानकोट में 3 मामले सामने आए हैं। सरकार का दावा है कि धुस्सी बांधों के ओवरफ्लो होने की शिकायत अधिक है क्योंकि सरकार ने बांधों को टूटने से बचाने के लिए पहले ही उचित इंतजाम किए हुए थे। इस समय लुधियाना में धुस्सी बांध टूटने से कई गांवों में खतरा मंडरा रहा है। राज्य सरकार ने बाढ़ से बचाने के लिए कुल 599 परियोजनाओं को पूरा किया था। स्टेट डिजास्टर मिटिगेशन फंड, मनरेगा और विभागीय फंडों के उपयोग से 4766 किलोमीटर से अधिक नालों और नदियों की गाद साफ की गई। जिलों में 8.76 लाख ईसी बैग (बोरियां) खरीदी गई हैं और 2.42 लाख बोरियां भरकर रखी गई जिन्हें बाढ़ प्रभावित एरिया में पहुंचाया गया।