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Which sectors of India will be affected by Trump's tariff? See the full list
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भारत के किन सेक्टर्स पर पड़ेगा Trump के Tariff का असर? देखें पूरी सूची
वीडियो डेस्क अमर उजाला डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Fri, 01 Aug 2025 01:21 PM IST
वॉशिंगटन से नई दिल्ली तक व्यापारिक हलकों में हड़कंप है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से आने वाले उत्पादों पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने का कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर कर दिया है, जो 7 अगस्त से प्रभावी होगा। यह फैसला अमेरिकी समयानुसार गुरुवार शाम लिया गया। पहले इसे 1 अगस्त से लागू किया जाना था, लेकिन इसे एक हफ्ते आगे बढ़ा दिया गया ताकि शुल्क तालिका में सामंजस्य बैठाया जा सके।
इस आदेश से भारत को झटका लगना तय है क्योंकि अमेरिका भारतीय वस्तुओं का सबसे बड़ा आयातक है। भारत-अमेरिका के बीच 130 अरब डॉलर का व्यापार होता है, जिसमें से भारत 87 अरब डॉलर का निर्यात करता है।
अब सवाल है कि इसका असर किन-किन सेक्टर्स पर सबसे ज्यादा पड़ेगा? भारत की किन कंपनियों और उद्योगों को खतरे की घंटी सुनाई दे रही है? और ट्रंप द्वारा रूस से व्यापार पर दी गई धमकी का भारत की ऊर्जा और रक्षा नीति पर क्या असर हो सकता है?
विशेषज्ञों के अनुसार, भारत ने अमेरिका से आयातित उत्पादों पर पहले से ही कई टैरिफ लगाए हुए हैं। ट्रंप इसी का जवाब दे रहे हैं। इस व्यापार युद्ध का प्रभाव भारतीय आईटी, टेक्सटाइल, फार्मा और कृषि उत्पादों पर ज्यादा पड़ेगा।
एक उदाहरण लें—अगर अमेरिका में भारतीय चावल पर 25% टैरिफ लगता है, तो वहां उपभोक्ताओं को वही चावल अब 125 रुपये में मिलेगा, जिससे भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धा कमजोर हो जाएगी।
किन सेक्टर्स पर सबसे ज्यादा असर?
1. इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर:
भारत अमेरिका को सबसे ज्यादा इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद भेजता है, जिनमें मोबाइल फोन, लैपटॉप, सर्वर, टैबलेट्स शामिल हैं। यह सेक्टर ट्रंप के टैरिफ से सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकता था, लेकिन धारा 232 की समीक्षा अभी बाकी है, जिससे दो हफ्तों की राहत मिल गई है।
2. टेक्सटाइल सेक्टर:
भारत का 28% टेक्सटाइल निर्यात अकेले अमेरिका को जाता है। अमेरिका ने जहां वियतनाम और इंडोनेशिया पर 19-20% टैरिफ लगाया है, वहीं बांग्लादेश और कंबोडिया पर 35-36% टैरिफ लागू किया है। भारत पर भी टैरिफ बढ़ने से यहां के उत्पाद महंगे हो जाएंगे और प्रतियोगिता में पिछड़ सकते हैं।
3. फार्मा सेक्टर:
भारत के कुल फार्मा निर्यात का 40% अमेरिका को जाता है। हालांकि, फिलहाल ट्रंप ने फार्मा सेक्टर को इस टैरिफ से बाहर रखा है। लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि आगे चलकर यह भी टैरिफ की जद में आ सकता है।
4. रत्न और आभूषण सेक्टर:
इस सेक्टर पर अमेरिका ने पहले ही 10% टैरिफ लगा रखा है। अब इसमें और बढ़ोतरी हो सकती है। इससे हीरे, सोने-चांदी की ज्वैलरी महंगी हो जाएगी, और भारत का यह उद्योग बुरी तरह प्रभावित हो सकता है।
5. कृषि उत्पाद:
भारत अमेरिका को 5.6 अरब डॉलर के कृषि उत्पाद निर्यात करता है, जिनमें सीफूड, मसाले, चावल और आयुष उत्पाद शामिल हैं। ट्रंप की नीति से खासतौर पर सीफूड इंडस्ट्री को सबसे बड़ा झटका लग सकता है।
अमेरिका के राष्ट्रपति ने कहा है कि जो देश रूस से हथियार और ऊर्जा लेन-देन कर रहे हैं, उन पर टैरिफ के अलावा अतिरिक्त पेनाल्टी लगाई जा सकती है। भारत पर इसका सीधा असर दो बड़े क्षेत्रों पर पड़ेगा:
1. ऊर्जा क्षेत्र:
2023 में भारत रूस से हर दिन 16-17 लाख बैरल कच्चा तेल आयात कर रहा था, जो भारत की कुल जरूरत का 35% हिस्सा है। रूस की तरफ से मिलने वाली कीमत 60 डॉलर प्रति बैरल से भी कम रही है, जिससे भारत को बड़ा लाभ मिल रहा है। लेकिन अगर अमेरिका ने इस पर पेनाल्टी लगाई, तो भारत की ऊर्जा सुरक्षा को बड़ा झटका लग सकता है।
2. रक्षा/हथियार क्षेत्र:
बीते दो दशकों में भारत ने करीब 60 अरब डॉलर के हथियार रूस से खरीदे हैं। 2023 तक भारत की सेनाओं का एक बड़ा हिस्सा अब भी रूसी हथियारों पर निर्भर है—जैसे AK-203, T-90 टैंक, सुखोई, मिग विमान और एस-400 मिसाइल सिस्टम।
हालांकि भारत ने हाल के वर्षों में फ्रांस, अमेरिका और इस्राइल जैसे देशों से भी रक्षा खरीदारी शुरू की है, लेकिन रूस की भूमिका अब भी अहम है। यदि ट्रंप ने इस क्षेत्र पर आर्थिक सजा दी तो भारत को अपनी रक्षा नीति पर फिर से विचार करना होगा।
डोनाल्ड ट्रंप का यह टैरिफ फैसला और रूस को लेकर दी गई चेतावनियां सिर्फ एक कारोबारी फैसला नहीं हैं, बल्कि यह भूराजनीतिक दबाव की रणनीति भी है। भारत के लिए अब यह दोधारी तलवार है—एक तरफ अमेरिका जैसा बड़ा निर्यात बाजार हाथ से निकलता दिख रहा है, और दूसरी ओर रूस के साथ सस्ते तेल और हथियारों का व्यापार संकट में पड़ सकता है।
अब यह देखना होगा कि भारत सरकार इस संकट को राजनयिक बातचीत और रणनीतिक संतुलन से कैसे हल करती है। लेकिन फिलहाल, भारतीय निर्यातकों और नीति निर्माताओं के लिए यह दौर बेहद चुनौतीपूर्ण साबित होने जा रहा है।
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