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मलबे में तब्दील होने की कगार पर गार वाली कर्बला का मुख्य दरवाजा, रुकावट बने हैं अवैध कब्जेदार
राजधानी लखनऊ में धार्मिक आस्था से जुड़ी कर्बला मलका आफाक साहिबा (गार वाली कर्बला) मुख्य दरवाजा मलबे में तब्दील होने की कगार पर पहुंच चुका है। जर्जर हो चुके दरवाजे के पुर्ननिर्माण में अवैध कब्जेदार रुकावट बने हैं। अपनी जान जोखिम डाल कर दरवाजे की सहनचियों में अपना आशियाना बनाए पांच परिवार कई नोटिस मिलने के बावजूद कब्जा छोड़ने को तैयार नही हैं। जर्जर दरवाजे से कर्बला के अंदर शराबियों और जुआरियों की आवाजाही बनी रहती है।
अवध के बादरशाह मोहम्मद अली शाह ने वर्ष 1837 ई. में सलतनत संभालने के बाद उन्होंने जहांआरा उर्फ खेतो बेगम को नवाब मलका आफाक साहिबा के खिताब से नवाजा। उन्होंने बेगम मलका आफाक के नाम पर कर्बला मलका आफाक साहिबा का निर्माण करवाया था। हुसैनाबाद ट्रस्ट के अधीन आने वाली कर्बला का मुख्य दरवाजा पूरी तरह से जर्जर हो चुका है। कर्बला के प्रभारी सैयद आबिद हुसैन ने बताया कि दरवाजे की सहनचियों में करीब 5 परिवार अवैध तरीके से काबिज हैं। दरवाजे की मरम्मत कराने के लिए ट्रस्ट की ओर से काबिज परिवारों को चार बार नोटिस दिया गया लेकिन उन्होंने खाली नही किया। अवैध कब्जे को खाली करवाने के लिए जिला प्रशासन को भी 12 बार पत्र लिखा गया लेकिन कोई कार्यवाही नही की गई।
कर्बला के प्रभारी आबिद हुसैन ने बताया कि जर्जर हो चुके दरवाजे का लोहे का गेट गिर चुका है। यहीं से शराबी और जुआरी कर्बला में घुस आते हैं और यहां पवित्रता को खराब करते हैं। उन्होंने बताया कि बुधवार की रात में कर्बला में घुसे कुछ लोगों की शराब पीते हुए वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी। ट्रस्ट की ओर से मदेहगंज थाने में तरहरीर देकर रात की गश्त बढ़ाने का अनुरोध किया गया है, तकि कर्बला में आसामाजिक तत्वों की आवाजाही पर रोक लगाई जा सके।
कर्बला में ईराक के सामरा स्थित हजरत इमाम हसन असकरी और हजरत इमाम अली नकी के मजारों की नकल बनवाए गए। जिसकी वजह से कर्बला का दूसरा नाम असकरैन भी है। इसके अलावा शिया समुदाय के 12वें इमाम हजरत मेहंदी अलै. रौजे में गार बनी होने की वजह से ये गार वाली कर्बला के नाम से भी जानी जाती है। इस्लामिक माह शाबान की 15 तारीख को हजरत इमाम मेहंदी की यौमे पैदाइश पर यहां बड़ी तादात में अकीदतमंद जियारत के आते हैं।
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