अशोकनगर में रक्षाबंधन जैसे पवित्र पर जिला जेल में लापरवाही का ऐसा मामला सामने आया जिसने पूरे प्रशासनिक तंत्र को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया। भाइयों की कलाई पर राखी बांधने और मुलाकात करने पहुंचीं बहनों और मासूम बच्चों के लिए नगर पालिका से जो पानी मंगवाया गया, उसमें चप्पल तैरती मिली। यह नजारा देखकर महिलाएं गुस्से से तिलमिला उठीं। त्योहार जैसे दिन पर हुई इस शर्मनाक चूक से जेल परिसर में हड़कंप मच गया।
दरअसल, हर साल की तरह इस बार भी राखी के मौके पर जेल में भारी भीड़ उमड़ी। ग्रामीण अंचलों से लेकर शहर तक से सैकड़ों महिलाएं और बच्चे पहुंचे, जबकि जेल का छोटा प्रतीक्षालय महज 25 से 50 लोगों की क्षमता का है। भीड़ का अंदाजा पहले से होने के बावजूद पीने के पानी की गुणवत्ता जांचने की जहमत न जेल प्रशासन ने उठाई और न नगर पालिका ने। जैसे ही टैंकर से पानी भरा जा रहा था, कुछ महिलाओं ने अंदर झांककर देखा तो दंग रह गईं। साफ नजर आ रहा था कि पानी में चप्पल तैर रही है। तब तक कई लोग यही पानी पी चुके थे। यह खबर फैलते ही महिलाओं ने पानी पीना बंद कर दिया और जेल प्रशासन से जवाब मांगने लगीं। मामला सामने आने के बाद जेल प्रशासन ने तुरंत नगर पालिका को फोन कर दूसरा टैंकर मंगवाया।
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त्योहार की खुशियों के बीच महिलाओं और बच्चों को यह अपमानजनक स्थिति झेलनी पड़ी। इतना ही नहीं, राखी बांधने आई बहनों के लाए सामान की तलाशी प्रशिक्षित सुरक्षा कर्मियों की जगह वहां तैनात बंदियों से कराई गई, जिसे सुरक्षा मानकों के साथ सीधा खिलवाड़ माना जा रहा है। जेलर ललित दीक्षित ने कहा कि यह मामला मेरे संज्ञान में आया है। टैंकर बदल दिया गया था, वह पानी हाथ-मुंह धोने के लिए था। जब टैंकर जेल में आया, उसका निरीक्षण किया गया था, तब उसमें कुछ नहीं था। हो सकता है, किसी शरारती तत्व ने चप्पल डाल दी हो।
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