छतरपुर जिले में इंसानियत को शर्मसार करने वाला और मानवता को झकझोर देने वाला मामला सामने आया है। बागेश्वरधाम क्षेत्र में मृत मिले बिहार के एक युवक का अंतिम संस्कार परिजनों द्वारा नहीं, बल्कि शमशान घाट में मौजूद आम लोगों ने चंदा इकट्ठा कर कराया। हैरानी की बात यह रही कि इस दौरान न तो प्रशासन और न ही किसी जिम्मेदार संस्था की ओर से कोई सहायता उपलब्ध कराई गई।
मामला छतरपुर जिला मुख्यालय का है। दो दिन पूर्व बागेश्वरधाम क्षेत्र में बिहार निवासी युवक धीरज शाह (32) का शव मिला था। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए छतरपुर जिला अस्पताल की मर्चुरी में रखवाया। सूचना मिलने पर मृतक के परिजन बिहार के बेगूसराय जिले से छतरपुर पहुंचे। पोस्टमार्टम के बाद वे शव को अंतिम संस्कार के लिए भैंसासुर मुक्तिधाम लेकर पहुंचे।
मृतक के परिजन आर्थिक रूप से बेहद कमजोर हैं। वे न तो शव को बिहार ले जाने में सक्षम थे और न ही छतरपुर में अंतिम संस्कार करने के लिए उनके पास पर्याप्त धन था। परिजनों का आरोप है कि इस संकट की घड़ी में न तो जिला प्रशासन, न नगरीय प्रशासन, न ही बागेश्वरधाम सेवा समिति या कोई अन्य संस्था उनकी मदद के लिए आगे आई। जिला अस्पताल प्रबंधन द्वारा शव को एम्बुलेंस से मुक्तिधाम पहुंचा दिया गया, लेकिन इसके बाद परिजनों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया। शमशान घाट में मृतक के परिजन शव के पास बैठकर घंटों मदद की आस में रोते रहे।
इसी दौरान एक अन्य शवयात्रा शमशान घाट पहुंची। वहां मौजूद लोगों ने रोते-बिलखते परिजनों से बातचीत की तो उनकी पीड़ा सामने आई। परिजनों ने बताया कि वे बिहार के बेगूसराय जिले के फुलवरिया गांव के निवासी हैं और गांव से चंदा कर छतरपुर तक पहुंचे हैं। उनके पास अंतिम संस्कार के लिए पैसे नहीं हैं।
परिजनों की व्यथा सुनकर लोगों की आंखें नम हो गईं। शमशान घाट में मौजूद लोगों ने आपस में चंदा इकट्ठा किया। किसी ने नकद राशि दी तो किसी ने फोन-पे, गूगल-पे के जरिए ऑनलाइन भुगतान किया। इस तरह कुल 20,500 रुपये नकद और 9,500 रुपये ऑनलाइन, करीब 30 हजार रुपये की राशि जुटाई गई। इसी राशि से मृतक का अंतिम संस्कार किया गया और शेष राशि परिजनों को अन्य धार्मिक क्रियाओं के लिए दी गई।
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चंदे से 6,000 रुपये की लकड़ी खरीदी गई। जब लकड़ी विक्रेता को पता चला कि यह लकड़ी जरूरतमंद परिवार के लिए चंदे से खरीदी गई है, तो वह स्वयं शमशान घाट पहुंचा और 5,500 रुपये वापस लौटा दिए। उसने कहा कि वह भी अपनी ओर से मदद करना चाहता है। केवल 500 रुपये ढुलाई वाहन का किराया लिया गया।
इस पूरे घटनाक्रम में आम लोगों ने न सिर्फ आर्थिक मदद की, बल्कि हिंदू रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार कर मानवता की मिसाल पेश की। वहीं दूसरी ओर प्रशासन और जिम्मेदार संस्थाओं की संवेदनहीनता पर सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या ऐसी परिस्थितियों में पीड़ित परिवार की मदद करना उनकी जिम्मेदारी नहीं थी।
मृतक का नाम धीरज शाह, पिता कोको शाह, उम्र 32 वर्ष, निवासी ग्राम फुलवरिया, थाना बरौनी, जिला बेगूसराय (बिहार) बताया गया है। वहीं, इस मामले में छतरपुर एएसपी आदित्य पटले ने बताया कि युवक का शव बमीठा थाना क्षेत्र के गढ़ा गांव के पास मिला था। पहचान आईडी प्रूफ के आधार पर हुई है। फिलहाल मर्ग कायम कर जांच की जा रही है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के कारणों का खुलासा हो सकेगा।

शमशान घाट में चंदा: बगेश्वरधाम में मौत 2 दिन बाद चंदे से हुआ अंतिम संस्कार।- फोटो : credit