दमोह जिले के हटा सिविल अस्पताल में पदस्थ डॉक्टरों के विरोध में बुधवार दोपहर सैकड़ों युवा तख्तियां लेकर सड़क पर उतरे और डॉक्टरों से अपनी ड्यूटी नियमित रूप से करने की मांग की। युवाओं का विरोध डॉक्टरों का ओपीडी में न बैठना, मरीजों को बार-बार रेफर करना और मरीजों के इलाज में लापरवाही बरतने को लेकर था। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर एसडीएम राकेश मरकाम को ज्ञापन सौंपा।
दरअसल, पिछले दिनों सर्पदंश से शंभुदयाल शर्मा की मौत के बाद सिविल अस्पताल हटा में पदस्थ डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की जा रही थी। इसी को लेकर बुधवार दोपहर हजारों लोग मद्दी के बगीचे में एकत्रित हुए। वे हाथों में तख्तियां लिए, काली पट्टियां बांधकर एसडीएम कार्यालय पहुंचे, जहां डॉक्टरों के अड़ियल रवैये के खिलाफ जन आक्रोश देखने को मिला। लोगों ने कहा कि एक डॉक्टर सप्ताह में केवल चौबीस से छत्तीस घंटे ही ड्यूटी कर रहे हैं और बाकी समय अपने निजी क्लीनिकों में बिताते हैं। रात्रिकालीन ड्यूटी में आकर सो जाते हैं और ग्रामीण अंचलों में पदस्थ सीएचओ से ड्यूटी कराते हैं। ऐसे में गंभीर हालत में पहुंचने वाले मरीजों को रेफर कर दिया जाता है, जिससे दमोह जिला अस्पताल पहुंचने से पहले ही मरीज दम तोड़ देते हैं। ऐसे सैकड़ों मामले होने के बाद भी डॉक्टरों पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
पिछले दिनों शास्त्री वार्ड गडिया निवासी शंभुदयाल शर्मा की सर्पदंश से मौत का मामला भी ऐसा ही था। उनकी मौत के बाद उनके बेटे शुभम शर्मा ने सिविल अस्पताल की दुर्दशा को सोशल मीडिया पर प्रसारित किया। इसके जवाब में डॉक्टरों ने शुभम शर्मा पर ही मामला दर्ज करा दिया। शुभम का कहना है कि डॉक्टरों की लापरवाही पर कोई कुछ न बोले, इसलिए डॉक्टर एकजुट होकर दबाव बनाते हैं। प्रदर्शनकारियों ने राज्यपाल के नाम एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें पीड़ित परिवार पर दर्ज मामलों की जांच, सर्पदंश के मामले में रात के समय डॉक्टरों की लापरवाही की जांच, डॉक्टरों की नियमित ओपीडी में उपस्थिति, अस्पताल में मरीजों की सभी जांचों की सुविधा और अस्पताल में ही दवाएं उपलब्ध कराने की मांग की गई।