रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व के नौरादेही अभ्यारण्य से निकली बाघिन एन-6 ने दमोह जिले के तेंदूखेड़ा ब्लॉक में डेरा डाल लिया है। दस दिन से बाघिन तेंदूखेड़ा ब्लॉक के जंगलों में घूम रही है। यहां बाघिन के लिए पर्याप्त भोजन, रहने के लिए खाई, गुफाएं और पानी भरपूर मात्रा में उपलब्ध है। इसे देखते हुए टाइगर रिजर्व ने सुरक्षा बढ़ा दी है, ताकि बाघिन के साथ ग्रामीण भी सुरक्षित रहें।
बता दें कि बाघिन अभी जिस क्षेत्र में है, वहां आने वाले समय में टाइगर रिजर्व का बफर जोन बनने वाला है। इसलिए बाघिन को यहां से वापस नहीं ले जाया जाएगा, बल्कि यहीं से उसकी निगरानी की जाएगी। इसके लिए एक टीम 24 घंटे लगी हुई है। स्थानीय लोगों ने बताया कि जिस जगह पर बाघिन घूम रही है, वहां पर 45 वर्ष पहले बाघ-बाघिन का रहवास था। लेकिन, बाद में वे जंगल छोड़कर चले गए। इस कारण यह क्षेत्र बाघ विहीन हो गया था। अब फिर से बाघिन यहां आई है, उसे यह स्थान पसंद आ रहा है।
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तेजगढ़ रेंज में जमाया डेरा
अभी बाघिन ने तेजगढ़ रेंज में अपना डेरा जमाया हुआ है। वह तेजगढ़ वन परिक्षेत्र के कलमली और गुबरा के जंगलों में घूम रही है। यहां पानी के लिए बड़े-बड़े तालाब हैं। गर्मी से राहत पाने के लिए गहरी खाइयां हैं, जिनमें बाघिन अक्सर चली जाती है। कलमली का जंगल तेजगढ़ वन परिक्षेत्र की पाजी बीट के अधीन आता है। यहां घना जंगल, बड़ा तालाब और छोटे-बड़े जानवर आहार के रूप में मौजूद हैं। इसके अलावा मोहड़, गोरखा गांव का जंगल भी बड़ा है, जहां भी एक तालाब बना हुआ है। ग्राम गुबरा से कुछ दूरी पर खाई है और उसके पास से समदई गांव के घने जंगल शुरू हो जाते हैं। यही वह क्षेत्र है, जहां बाघिन ने अपना स्थायी रहवास बनाया है। टीम के साथ समय-समय पर अधिकारी भी बाघिन की निगरानी कर रहे हैं।
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बाघिन पूरी तरह स्वस्थ, शिकार कर रही
नौरादेही उपवन मंडल अधिकारी प्रतीक दुबे ने बताया कि बाघिन पूरी तरह स्वस्थ है और दमोह जिले का जंगल बाघों के अनुकूल है। बाघिन शिकार भी कर रही है और अब तक तीन मवेशियों का शिकार कर चुकी है। कालर आईडी से बाघिन की लगातार लोकेशन ली जा रही है। टीम 24 घंटे निगरानी कर रही है। बाघिन पूरे क्षेत्र में भ्रमण कर रही है, एक ही रेंज में उसने पूरा सप्ताह गुजारा है। यह बड़ी सुखद बात है।
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जंगली मार्ग में लगाई सुरक्षा
सांगा और ओपाजी के बीच से एक कच्चा मार्ग निकला है, जो कई गांवों को जोड़ता है। लोग यहां से काफी आवागमन करते हैं। तेजगढ़ रेंजर नीरज पांडे ने बताया कि बाघिन जंगल में जगह बदलती रहती है। एक मार्ग कलमली मुख्य मार्ग को जोड़ता है। दूसरी तरफ इसी मार्ग से लोग मोहरा, गोरखा, मोहड़ गांव जाते हैं। सुरक्षा की दृष्टि से इस मार्ग पर सुरक्षा श्रमिक तैनात किए गए हैं। राहगीरों को भी बाघिन के संबंध में समझाइश दी गई है।