धार जिले के नालछा जनपद से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जिसने न सिर्फ प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि सरकारी योजनाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार की गंभीर तस्वीर भी सामने रखी है। यहां मगजपुरा गांव के दो निवासी अशरफ पटेल और शौकत पटेल इन दिनों खुद को 'जिंदा' साबित करने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं। दरअसल, दोनों को वर्ष 2022 में कागजों पर 'मृत' दिखाकर मुख्यमंत्री जनकल्याण संबल योजना के तहत लगभग 6 लाख रुपये की राशि निकाल ली गई।
पूरा मामला नालछा जनपद की ग्राम पंचायत मियापुर के अंतर्गत आने वाले मगजपुरा गांव का है। पीड़ितों का आरोप है कि किसी ने उनके नाम पर भवन कर्मकार योजना और अंत्येष्टि सहायता योजना के तहत फर्जीवाड़ा करते हुए इस राशि की निकासी कर ली, जबकि वे उस समय भी गांव में जीवित और सक्रिय रूप से रह रहे थे। अशरफ पटेल ने बताया कि 2022 में मुझे और शौकत को मृत घोषित कर दिया गया, जबकि हम लगातार गांव में ही रह रहे थे। योजना की राशि किसी और ने निकाल ली और हमें इसकी भनक तक नहीं लगी। वहीं शौकत पटेल ने कहा कि हम गरीब लोग हैं। सरकार की योजना हमारे लिए बनी थी, लेकिन हमारे ही नाम पर फर्जीवाड़ा कर पैसा निकाल लिया गया और हमें मरा हुआ बता दिया गया।
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पीड़ितों ने इस संबंध में पहले नालछा थाने में शिकायत दर्ज कराई, फिर जनपद पंचायत सीईओ संदीप डाबर को लिखित आवेदन सौंपा, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी है। अब इन दोनों ने धार जिला मुख्यालय में जनसुनवाई के दौरान अपर कलेक्टर अश्विनी कुमार के समक्ष अपनी पीड़ा रखी और न्याय की गुहार लगाई। अपर कलेक्टर अश्विनी कुमार ने इस मामले पर कहा, “हमें आवेदन प्राप्त हुआ है। कहीं न कहीं गलती हुई है, जिसकी जांच करवाई जाएगी और दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
यह मामला दर्शाता है कि किस तरह सरकारी सिस्टम की लापरवाही और भ्रष्टाचार के चलते जिंदा लोगों को भी कागजों में 'मृत' घोषित कर योजनाओं में घोटाला किया जा रहा है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब आम जनता को अपने 'वजूद' को ही बार-बार साबित करना पड़े, तो ऐसे सिस्टम में न्याय की उम्मीद कैसे की जाए?