प्रदेश में कफ सिरप से 23 बच्चों की मौत के बाद भी लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा राज्यमंत्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल ने शनिवार को हरदा प्रवास के दौरान जिला अस्पताल का निरीक्षण तो किया, लेकिन शिशु वार्ड का निरीक्षण नहीं किया, जिससे कई सवाल खड़े हो रहे हैं। मंत्री पटेल ने अस्पताल की व्यवस्थाओं का जायजा लेते हुए अधिकारियों को निर्देश दिए कि कर्मचारियों और डॉक्टर्स की नियमित उपस्थिति सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि मरीजों को समय पर बेहतर इलाज, दवाएं और सुविधाएं मिलनी चाहिए।
उन्होंने अस्पताल के सीसीटीवी कंट्रोल रूम का भी निरीक्षण किया और निर्देश दिए कि पब्लिक एनाउंसमेंट सिस्टम हमेशा चालू रहे, ताकि किसी भी आपात सूचना की जानकारी तुरंत पूरे परिसर में प्रसारित की जा सके। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि रिसेप्शन सेंटर पर हर समय कर्मचारी की मौजूदगी रहे, जिससे आने वाले मरीजों और परिजनों को आवश्यक जानकारी में कोई परेशानी न हो। निरीक्षण के दौरान मंत्री पटेल ने पैथोलॉजी, नया ऑपरेशन थिएटर, प्रसूति गृह और ओपीडी कक्ष का निरीक्षण किया। उन्होंने निर्देश दिए कि अस्पताल में भर्ती मरीजों को गुणवत्तायुक्त चाय, नाश्ता और भोजन निर्धारित समय पर उपलब्ध कराया जाए। इस दौरान उन्होंने मरीजों और उनके परिजनों से चर्चा कर भोजन एवं साफ-सफाई की स्थिति की जानकारी भी ली। मंत्री पटेल ने कहा कि अस्पताल स्टाफ और मरीजों के बीच आपसी संवाद और व्यवहार सौहार्दपूर्ण होना चाहिए। मरीजों और उनके परिजनों से भी अपेक्षा है कि वे स्टाफ के साथ सहयोगपूर्ण व्यवहार करें।
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हालांकि निरीक्षण के दौरान यह सवाल भी उठा कि जब प्रदेश के छिंदवाड़ा और बैतूल में कफ सिरप पीने से बच्चों की मौत जैसी बड़ी घटना सामने आई हैं, तो मंत्री ने हरदा अस्पताल में शिशु वार्ड का निरीक्षण क्यों नहीं किया। इस पर उन्होंने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया। वहीं, महिलाओं से डिलीवरी के नाम पर पैसे वसूलने के मामलों पर पूछे जाने पर मंत्री पटेल ने कहा, मैंने अस्पताल में कई लोगों से पूछा, किसी ने ऐसी कोई शिकायत नहीं की है। हालांकि उन्होंने यह स्वीकार किया कि पूर्व में स्त्री रोग विशेषज्ञों के खिलाफ शिकायतें मिली हैं, जिनकी जांच फिलहाल जारी है।