आज महिला दिवस है और मध्य प्रदेश की एक महिला आईएएस अधिकारी की चर्चा चारों ओर हो रही हैं। अपनी सख्त प्रशासनिक कार्यशैली के लिए जानी जाने वाली खरगोन जिला कलेक्टर भव्या मित्तल एक बार फिर एक्शन मोड में नजर आई हैं। उन्होंने खरगोन जिले में सामने आए लाखों रुपये के स्कॉलरशिप घोटाले पर सख्ती दिखाते हुए FIR दर्ज करवाने के आदेश दिए हैं। इसके बाद ओबीसी विभाग के सहायक संचालक इतिशा जैन, डीडीओ क्रिएटर आशीष दुबे और लेखा प्रभारी शेखर रावत पर कोतवाली थाने में मामला दर्ज किया गया है। इस मामले में एक आरोपी की गिरफ्तारी हो चुकी है, आगे की जांच जारी है।
दरअसल, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण विभाग में 84 लाख रुपये का छात्रवृत्ति घोटाला सामने आया था, जिसको लेकर यह पूरी कार्रवाई की गई है। वहीं, बीते दिनों ही IAS भव्या मित्तल ने बुरहानपुर कलेक्टर के पद पर रहते हुए भ्रष्टाचार के दोषी एक बाबू को चपरासी बनाने का आदेश जारी किया था, जिससे वह देश-प्रदेश की मीडिया की सुर्खियों में आ गई थीं।
एक आरोपी गिरफ्तार
खरगोन कलेक्टर मित्तल के निर्देश पर कोतवाली थाने में ओबीसी विभाग के तीन अधिकारी-कर्मचारियों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। इसके बाद 84 लाख रुपये के स्कॉलरशिप घोटाले के मुख्य आरोपी को खरगोन कोतवाली पुलिस ने गिरफ्तार भी कर लिया है। आरोपियों पर वर्ष 2021-22 और 2022-23 में अनेक फर्जी खातों में छात्रवृत्ति राशि के भुगतान का आरोप है। इस मामले में दो आरोपियों के खिलाफ पहले से ही विभागीय जांच चल रही है। अब विभाग के सहायक संचालक के खिलाफ भी कार्रवाई को लेकर जिला कलेक्टर ने FIR दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही, गबन की राशि की वसूली के लिए भी कार्रवाई की जा रही है। विभाग के सहायक संचालक के खिलाफ कार्रवाई को लेकर जिला कलेक्टर ने शासन को भी पत्र भेजा है।
मुख्य आरोपी ने कर्ज चुकाने के लिए रचा था षड्यंत्र
स्कॉलरशिप घोटाले को लेकर की गई अब तक की जांच में सामने आया है कि मुख्य आरोपी तत्कालीन लेखा प्रभारी शेखर रावत ने अपना कर्ज चुकाने के लिए इस पूरे फर्जीवाड़े को अंजाम दिया। इस घोटाले की पुष्टि के लिए जिला कोषालय अधिकारी आनंद पटले, तात्कालिक अपर कलेक्टर जे. एस. बघेल और सहायक आयुक्त प्रशांत आर्य की जांच समिति बनाई गई थी। जांच में दस्तावेजों के आधार पर 84 लाख रुपये की हेराफेरी और गबन की पुष्टि हुई। एसपी धर्मराज मीना ने बताया कि जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर 84 लाख रुपये के घोटाले का केस दर्ज कराया गया है। कोतवाली थाना पुलिस इसकी जांच कर रही है।
सहायक संचालक सहित तीन लोगों पर FIR दर्ज
खरगोन कलेक्टर भव्या ने बताया कि ओबीसी विभाग से करीब 80 लाख रुपये से अधिक की राशि बिना किसी अनुमति के जारी की गई थी। यह मामला पिछले साल जांच में सामने आया था, जिसमें राशि की वसूली के निर्देश पहले ही दिए गए थे। लेकिन, ओबीसी विभाग के सहायक संचालक ने केस दर्ज कराने की कोई कार्रवाई नहीं की थी। इसलिए, उन्हें भी प्रारंभिक तौर पर दोषी माना गया है। पहले दोषी माने गए और सस्पेंड किए गए दो अन्य अधिकारियों के साथ अब इन तीनों के खिलाफ केस दर्ज कराया गया है। मामले में एक गिरफ्तारी भी हो चुकी है। जांच में सामने आया कि अप्रूवल अधिकारी ने अपना डिजिटल सिग्नेचर किसी और को दे रखा था और उसकी मॉनिटरिंग भी नहीं की। ऐसे में क्रिएटर और अप्रूवर दोनों को जिम्मेदार माना गया है। सहायक संचालक का पद वरिष्ठ होता है, इसलिए मामले को लेकर सरकार को भी अवगत कराया गया है।
कमेटी से दस्तावेज लिए जा रहे
एसपी धर्मराज मीना ने बताया कि फरवरी महीने में जिला कलेक्टर की ओर से एक जांच प्रतिवेदन प्राप्त हुआ था। इस रिपोर्ट में बताया गया कि लगभग 84 लाख रुपये की छात्रवृत्ति राशि को गलत तरीके से बिना अनुमति के कई खातों में ट्रांसफर किया गया। इस काम में विभाग के तीन अधिकारी भी शामिल थे। इस के आधार पर धारा 420 (धोखाधड़ी) और धारा 409 (सरकारी धन का गबन) के तहत कार्रवाई की गई है। जांच कमेटी से घोटाले से जुड़े अन्य दस्तावेज और रकम ट्रांसफर से संबंधित कागजात भी प्राप्त किए जा रहे हैं। आगे जो भी तथ्य सामने आएंगे, उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी।