सारंगपुर क्षेत्र के हराना स्थानीय गांव में इस वर्ष खरीफ सीजन की शुरुआत किसानों के लिए निराशाजनक साबित हो रही है। गांव के करीब 100 किसानों की 150 बीघा में बोई गई सोयाबीन की फसल पूरी तरह से अंकुरित नहीं हो सकी। अब किसान दोबारा बोवनी करने को मजबूर हो गए हैं। इससे उन्हें बीज, मजदूरी और ट्रैक्टर खर्च समेत आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। किसानों ने प्रशासन और कृषि विभाग से क्षतिपूर्ति की मांग की है।
किसानों का कहना है कि उन्होंने समय पर बारिश होते ही खेतों की तैयारी कर बीज बो दिए थे। मगर या तो बीज खराब निकले या मिट्टी में नमी की कमी रही, जिससे अंकुरण नहीं हो पाया। खेत खाली पड़े हैं, या कहीं-कहीं छिटपुट पौधे उग पाए हैं। मजबूरी में किसानों ने दोबारा बुवाई की तैयारी शुरू कर दी है। इस बार उन्हें फिर से बीज खरीदना पड़ रहा है, जिससे उनकी लागत दोगुनी हो गई है।
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गांव के किसान मांगीलाल पटेल, रामविलास पटेल, बद्री लाल बंदेला, पूनमचंद नागर, अमृत लाल भंडारी, महेश जयसवाल, हरिनारायण नागर, होकम मंडलौई, मोहन नागर, जगदीश मालवीय, संतोष मालवीय, आदि ने बताया कि करीब 150 बीघा भूमि पर बोवाई की गई थी, लेकिन फसल नहीं उगी। बीज के खराब होने की आशंका है। कुछ किसानों ने बीज निजी दुकानों से खरीदा था। गांव के किसान मांग कर रहे हैं कि संबंधित बीज कंपनियों और वितरण एजेंसियों की जांच हो और जो बीज खराब निकले हैं, उनका मुआवजा दिलाया जाए। किसानों का कहना है कि पहले से ही खेती घाटे का सौदा बनी हुई है। अगर समय पर राहत नहीं मिली तो कर्ज का बोझ और बढ़ेगा।
किसान प्रतिनिधियों ने जनपद पंचायत, कृषि विभाग और जिला प्रशासन से मांग की है कि तत्काल सर्वे करवा कर प्रभावित किसानों को बीज सहायता, डीजल अनुदान या नकद क्षतिपूर्ति दी जाए ताकि वे दोबारा बोवनी कर सकें और आगामी फसल को बचा सकें। इनका कहना है। यह लगातार गर्मी के दौरान तापमान में गिरावट के कारण सोयाबीन की फसल में अंकुरण की समस्या आई है।किसी दुकान से बीज खराब संबंधित शिकायत आऐगी तो जरूर कार्रवाई करेंगे।