रतलाम जिले में अतिवृष्टि और पीला मोजैक नामक बीमारी से अधिकांश किसानों की फसलें बर्बाद हो चुकी हैं। इससे किसान चिंतित और परेशान हैं तथा मुआवजा नहीं मिलने से उनमें आक्रोश है। बड़ी संख्या में आक्रोशित किसानों ने शुक्रवार दोपहर रैली निकालकर प्रदर्शन किया तथा मुख्यमंत्री के नाम एसडीएम आर्ची हरित को ज्ञापन सौंपकर उचित मुआवजा देने की मांग की।
राष्ट्रीय करणी सेना परिवार के प्रमुख जीवन सिंह शेरपुर ने चेतावनी दी है कि अधिकांश क्षेत्रों में सोयाबीन की फसल लगभग नष्ट हो चुकी है, इसलिए सर्वे की जरूरत नहीं है। बगैर सर्वे कराए किसानों को 11 हजार रुपए बीघा के मान से तत्काल मुआवजा दिया जाए, यदि शीघ्र उचित मुआवजा नहीं दिया गया तो प्रदेशभर में किसान आंदोलन किया जाएगा।
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दोपहर में महू रोड स्थित कृषि उपज मंडी में बड़ी संख्या में जिले के अलग-अलग क्षेत्रों से आए किसान एकत्र हुए तथा वहां से रैली निकाली गई। रैली में शामिल किसान नारेबाजी करते हुए हाथों में खराब फसलें तथा नारे लिखी तख्तियां लिए चल रहे थे। रैली कलेक्टर कार्यालय पहुंची, जहां किसान धरने पर बैठ गए तथा नारेबाजी करते हुए किसानों को तत्काल मुआवजा देने तथा अन्य समस्याओं का निराकरण करने की मांग करने लगे। संबोधित करते हुए राष्ट्रीय करणी सेना परिवार के प्रमुख जीवन सिंह शेरपुर ने कहा कि अतिवृष्टि से अधिकांश किसानों की शत प्रतिशत फसल नष्ट हो गई है, पटवारी द्वारा सर्वे किया जा रहा है और वह कहते हैं कि ऊपर से आदेश है कि 70 प्रतिशत से ज्यादा नुकसान नहीं लिखना है, जबकि अधिकांश किसानों की पूरी फसल नष्ट हो गई हैं। पटवारी चार बाय चार क्षेत्र के हिस्से का सर्वे कर रहे हैं। जबकि दो, तीन या चार बीघा जमीन में नष्ट हुई फसलें किसान दिखाते हैं, तो उसे नहीं लिखा जा रहा है। यह कहां का न्याय है। जब फसलें पूरी तरह नष्ट हो गई हैं तो सर्वे की जरूरत नहीं हे। बगैर सर्वे के मुआवजा दिया जाए। बीमा अलग से किया जाएगा, क्योंकि बीमा कंपनी ने पालिसी के लिए किसानों से राशि ली है। कंपनी ने किसानों को पालिसी नहीं दी है, सर्वे के दौरान पालिसी नंबर मांग जा रहा है। किसान बैंक जाकर परेशान हो रहे हैं। बीमा कंपनी किसानों को बगैर जानकारी दिए बीमा कर देती है तथा किसानों के खातों से राशि काट ली जाती है। यह भी नहीं बताया जाता कि कौन कौन सी बीमारी कवर होगी, कंपनी को निर्देशित किया जाए कि किसानों को जानकारी देकर बीमा किया जाए। गर्मी व बारिश के मौसम में बिजली का किसान उपयोग नहीं करते हैं, बिजली कंपनी साल भर का बिल लेती है, हमारी मांग हे कि छह माह का ही बिल लिया जाए। पीला मोजैक सहित फसलों में होने वाली समस्त बीमारियों को बीमा में शामिल किया जाए।
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