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Shankar is present in every corner of Sagar district. There are many forms of Shiva in temple of Pali village
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Sagar News: सागर जिले के कण-कण में विराजमान हैं शंकर, पाली गांव के मंदिर में हैं शिव के अनेक स्वरूप
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, सागर Published by: सागर ब्यूरो Updated Wed, 26 Feb 2025 04:19 PM IST
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बुंदेलखंड अंचल में हजारों वर्षों से शिव पूजा की परंपरा रही है, जिसका प्रमाण यहाँ के गुप्त काल, हूण, शुंग, नाग, कल्चुरी, प्रतिहार, परमार, चंदेल और मराठा कालीन शिव मठों और मंदिरों से मिलता है। इस क्षेत्र में कई दुर्लभ शिवलिंग भी पाए जाते हैं, लेकिन उचित पुरातात्विक खोज के अभाव में ये स्थान अपेक्षित प्रसिद्धि नहीं पा सके हैं।
पाली सुजान का प्राचीन शिव मंदिर
राष्ट्रीय राजमार्ग 44 पर, सागर से लगभग 37 किलोमीटर दूर पाली सुजान गांव में ऊंची जगती पर स्थित एक प्राचीन शिव मंदिर है। पूर्वाभिमुखी यह मंदिर शिखरविहीन है, जिसमें गर्भगृह, अंतराल और सादी छत है। द्वारशाखा पर यमुना-गंगा, मिथुन दृश्य, शार्दूल पर योद्धा, उमा-महेश्वर, नौग्रह, गंधर्व, चंवरधारिणी नायिकाएं, और शिववर भद्र की सुंदर नक्काशी है।
मंदिर के बाहरी भाग में शिव के भद्र अवतारों के विभिन्न स्वरूप उकेरे गए हैं। गणेश, मातृकाएं, और ब्रह्मा-विष्णु की प्रतिमाएं भी यहां मौजूद हैं। गर्भगृह में जलहरी सहित शिवलिंग स्थापित है। पास के एक कक्ष में प्राप्त प्राचीन मूर्तियां संरक्षित हैं।
चंदेलकालीन वास्तुकला और संरक्षण
यह मंदिर 10वीं-11वीं शताब्दी का माना जाता है और चंदेलकालीन शैली का उत्कृष्ट उदाहरण है। इसके शिल्पकला और प्रतिमाओं से अनुमान लगाया जाता है कि यहां कभी विशाल शिव मंदिर रहा होगा, जो कालांतर में नष्ट हो गया।
विशेष अवसरों पर खुलता है गर्भगृह
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के संरक्षण में यह मंदिर सावन सोमवार और महाशिवरात्रि पर ही खोला जाता है, जब आसपास के ग्रामीण दर्शन के लिए आते हैं। अन्य समय में बाहर से ही दर्शन किए जा सकते हैं।
पुरातात्विक सर्वेक्षण की आवश्यकता
पाली गांव और इसके आसपास के क्षेत्र में कई पुरातात्विक महत्व की मूर्तियां मिली हैं। यदि यहां विस्तृत पुरातात्विक सर्वेक्षण किया जाए, तो नवीनतम जानकारियां सामने आ सकती हैं, जो इसे धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर सकती हैं।
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