सीधी जिले के सेमरिया थाना क्षेत्र के बरिगवां नंबर दो गांव में सड़क न होने की वजह से एक आदिवासी गर्भवती महिला का रास्ते में ही प्रसव हो गया। एंबुलेंस गांव तक नहीं पहुंच सकी, जिससे परिजन महिला को खाट पर लादकर मुख्य सड़क तक लाए। यह घटना न सिर्फ क्षेत्र की दुर्दशा को उजागर करती है, बल्कि जनप्रतिनिधियों के लंबे समय से किए जा रहे वादों की भी पोल खोलती है।
मिली जानकारी के अनुसार, बरिगवां गांव की निवासी प्रीति रावत पति बबलू रावत को प्रसव पीड़ा होने पर परिजनों ने एंबुलेंस को बुलाया, लेकिन गांव तक पक्की सड़क नहीं होने के कारण एंबुलेंस दो किलोमीटर दूर मुख्य मार्ग पर ही खड़ी रही। मजबूर परिजनों ने रस्सी और बल्लियों की मदद से खाट को डोली का रूप दिया और महिला को उसी पर लिटाकर कठिन रास्ते से लेकर निकले। इस दौरान रास्ते में ही महिला का प्रसव हो गया, जिससे परिजन घबरा गए।
बाद में किसी तरह महिला और नवजात को सेमरिया अस्पताल ले जाया गया, जहां दोनों की हालत फिलहाल स्थिर बताई जा रही है। बरिगवां गांव की आबादी लगभग 70 है, लेकिन आज़ादी के 75 वर्षों बाद भी यहां पक्की सड़क की सुविधा नहीं पहुंच सकी है। ग्रामीणों के अनुसार, बरसात के दिनों में यह स्थिति और भी विकट हो जाती है। बच्चों को स्कूल जाने के लिए एक छोटी नदी पार करनी पड़ती है, जिससे उनकी शिक्षा पर भी असर पड़ रहा है।
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इस मामले में सीएमएचओ डॉ. बबीता खरे ने बताया कि "एंबुलेंस समय पर पहुंची थी, लेकिन सड़क न होने से गांव तक नहीं जा सकी।" वहीं, समाजसेवी प्रभात वर्मा ने इसे बेहद शर्मनाक बताया और कहा कि “अगर परिजनों ने समय पर प्रयास न किए होते, तो मां और नवजात की जान भी जा सकती थी।”
गौरतलब है कि कुछ समय पहले इसी क्षेत्र की एक अन्य गर्भवती महिला लीला साहू को लेकर भी ऐसा ही मामला सामने आया था, जिसमें सांसद राजेश मिश्रा ने हेलीकॉप्टर भेजने की बात कही थी। लेकिन आज तक गांव की स्थिति जस की तस बनी हुई है। ग्रामीणों का कहना है कि नेताजी चुनाव के समय बड़े-बड़े वादे करते हैं, लेकिन सड़क, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाएं आज भी सपना बनी हुई हैं।