श्री मंगलनाथ मंदिर परिसर में संपूर्ण जिला ही नहीं, अन्य प्रांतों से आए पंचक्रोशी यात्रियों ने अपनी 118 किलोमीटर लंबी पैदल यात्रा के अंतिम चरण में रात्रि विश्राम किया। यात्रियों ने हाथ में लकड़ी और सिर पर पोटली लेकर पैदल चलते हुए मंदिर प्रांगण में विश्राम किया। यात्रा के अंतिम दिन प्रातः सभी यात्रियों ने मंगलनाथ घाट पर पुण्य सलिला शिप्रा नदी में स्नान कर भगवान श्री मंगलनाथ जी के दर्शन किए और उन्हें जल अर्पित किया।
वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन और मंदिर के सम्मानीय पुजारी नरेंद्र भारती के विचार-विमर्श से आज होने वाली भात पूजन को प्रतिबंधित किया गया। इसके स्थान पर प्रातः 6:30 बजे की आरती के बाद मंदिर के गर्भगृह में सभी यात्रियों को प्रवेश कराकर सीधे भगवान के दर्शन एवं जल अर्पण की व्यवस्था की गई। इस सुव्यवस्थित दर्शन व्यवस्था से श्रद्धालु अभिभूत हो उठे और भगवान मंगलनाथ जी का स्पर्श कर अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना की।
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इस व्यवस्था को सफल बनाने में मंदिर समिति के कर्मचारियों के साथ पुजारीगण, विद्वान पंडितों और आचार्यगणों ने भी महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान किया। दोपहर के निर्धारित समय के बाद भी संध्या 4:30 बजे तक दर्शन की सतत व्यवस्था बनी रही। मंगलनाथ मंदिर के प्रशासक के.के. पाठक ने जानकारी देते हुए बताया कि उपखंड अधिकारी एवं मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष के कुशल नेतृत्व में लगभग 1 लाख श्रद्धालुओं ने भगवान के दर्शन किए।
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मंदिर में चांदी का कलश दान
हरदा जिले से आए श्रद्धालु कृष्णकांत साकड़ले ने अपने परिवार सहित श्री मंगलनाथ मंदिर समिति को 300 ग्राम वजनी चांदी का कलश (लोटा) दान किया, जिसकी अनुमानित कीमत ₹35,000 है। मंदिर के प्रशासक द्वारा उन्हें और उनके परिवार को अंगवस्त्र भेंट कर सम्मानित किया गया।