बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में वैशाख माह की प्रचंड गर्मी में पंचक्रोशी यात्रा शुरू होने जा रही है। इस यात्रा की शुरुआत 23 अप्रैल से होगी और यह 28 अप्रैल तक चलेगी। जो देवों के देव महादेव के पांच प्रसिद्ध मंदिरों से होकर गुजरेगी। यह पंचक्रोशी यात्रा 118 किलोमीटर की होगी। भीषण गर्मी की परवाह किए बिना, हजारों भक्त नंगे पैर, सिर पर अपनी आवश्यकता की सामग्री रखकर यह कठिन यात्रा करेंगे। इस दौरान श्रद्धालु भगवान शिव के पांच प्रमुख मंदिरों के दर्शन करेंगे।
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पंचक्रोशी यात्रा का इतिहास उज्जैन में वैशाख मास के दौरान होने वाली पंचक्रोशी यात्रा का शास्त्रों में विशेष महत्व बताया गया है। जिस प्रकार माघ और कार्तिक मास का धार्मिक महत्व है, उसी प्रकार वैशाख मास में किए गए दान, पुण्य और स्नान का भी विशेष महत्व है। पुराणों में भी वैशाख मास में स्नान के महत्व का उल्लेख मिलता है। मान्यता है कि जो श्रद्धालु इस पवित्र महीने में दान-पुण्य या स्नान नहीं कर पाते हैं, वे इस पंचक्रोशी यात्रा में शामिल होकर अथवा यात्रा के अंतिम पांच दिनों में स्नान करके पुण्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं। यही कारण है कि दूर-दूर से श्रद्धालु इस आध्यात्मिक यात्रा में भाग लेने के लिए उज्जैन पहुंचते हैं।
हालांकि, इस यात्रा की शुरुआत कब हुई, इसका कोई निश्चित उल्लेख नहीं मिलता, लेकिन विद्वानों का मानना है कि यह परंपरा अनादिकाल से चली आ रही है। पंचक्रोशी यात्रा का केंद्र उज्जैन महाकाल की नगरी उज्जैन का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। प्राचीन अवंतिका नगरी चौकोर आकार में बसी हुई है और इसके विभिन्न कोणों पर स्थित शिव मंदिर इसके द्वारपाल माने जाते हैं। पूर्व में पिंगलेश्वर, दक्षिण में कायावरोहणेश्वर, पश्चिम में बिल्वकेश्वर, उत्तर दिशा में दुर्देश्वर और नीलकंठेश्वर महादेव इन पांच प्रमुख मंदिरों की दूरी लगभग 118 किलोमीटर है। पंचक्रोशी यात्रा के दौरान श्रद्धालु इन्हीं पांचों शिव मंदिरों की परिक्रमा करते हैं और पवित्र क्षिप्रा नदी में स्नान करते हैं। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, इस यात्रा को पूर्ण करने वाले भक्तों को 33 कोटि देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
यहां से शुरू होगी पंचक्रोशी यात्रा
श्रद्धालुगण नागचंद्रेश्वर मंदिर पटनी बाजार से बल प्राप्त कर यात्रा प्रारंभ कर लखेरवाडी से होते हुए छत्रीचौक, सराफा, कंठाल चौराहा, निजातपुरा, कोयला फाटक चौराहा, उद्योगपुरी, ढांचा भवन, होटल नक्षत्र के सामने, उण्डासा, पिंग्लेश्वर, श्री सिंथेटिक चौराहा, धतरावदा, लालपुर, सेफी नाका चौराहा, शक्करवासा, शनि मंदिर, महावीर तपोभूमि चौराहा, राघौपिपलिया, करोहन, गोंदिया, तालोद, बंबोरा, नलवा चौपाटी, अंबोदिया, नईखेडी, आजमपुरा, सोढंग नाका चौराहा, के.डी.पैलेस, जैथल, आगर रोड पुराना टोलटेक्स, उण्डासा होते हुए पुनः होटल नक्षत्र के सामने से ढांचा भवन, उद्योगपुरी, कोयला फाटक चौराहा, निजातपुरा, कंठाल चौराहा, सराफा, छत्री चौक, नागचंद्रेश्वर मंदिर पर बल वापस कर रामघाट पर स्नान पश्चात यात्रा समाप्त करेंगे।
यातायात व्यवस्था में होगा यह बदलाव
23 अप्रैल 2025 से 27 अप्रैल 2025 तक पंचक्रोशी यात्रा का आयोजन होना है। जिसके तहत यातायात व्यवस्था निम्नानुसार रहेगी। दिनांक 22 अप्रैल से ही श्रद्धालुगण यात्रा मार्ग में यात्रा करने लगते हैं अतः पंचक्रोशी यात्रा मार्ग में निम्नानुसार डायवर्सन रहेगा।
1. जो भारी वाहन एवं अन्य वाहन आगरनाका से मण्डीगेट, पांण्ड्याखेड़ी होकर देवास और इन्दौर की ओर जाना चाहते है वो आगरनाका से उन्हेलनाका साडू माता की बावडी से वाय-पास होकर आस्था गार्डन, त्पोभूमि होकर जा सकेगें। इस मार्ग से इन्दौर, देवास से आगर की ओर जा सकेंगे।
2. जो वाहन देवास से नरवर, नागझिरी होकर उज्जैन की ओर जाना चाहते है वो वाय-पास से त्पोभूमि, प्रशांति धाम चौराहा होकर उज्जैन के लिये जा सकेंगे।
3. पंचक्रोशी यात्रा रूद्धाक्ष होटल शनि मंदिर से त्पोभूमि टर्निंग तक रॉग साइड से जायेगी इसलिये जो यातायात इन्दौर से उज्जैन की ओर जाएगा उसे त्पोभूमि से प्रशांति धाम चौराहा तक रॉग साइड से भेजा जायेगा और इसी मार्ग से प्रशांति धाम से इन्दौर की ओर जाने वाला यातायात भेजा जायेगा। इसलिये वाहन चालक सावधानी पूर्वक वाहन चलायें।
4. पंचक्रोशी यात्रा में जैथल से यात्रा क्रास करेगी इसलिये आगर से आने वाले यातायात को जैथल क्रांसिंग से रॉग साइड उज्जैन की ओर भेजा जायेगा इसी मार्ग से उज्जैन से आगर की ओर जाने वाला यातायात भी गुजरेगा।
5. देवास तरफ से आने वाले भारी वाहन जो बड़नगर बदनावर की ओर जाना चाहते है वो भारी वाहन सीधे बदनावर फोर लेन से होकर जायेगें।