उमरिया के पुराने बस स्टैंड के पास स्थित हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में एक दर्दनाक घटना सामने आई। आदिम जाति कल्याण विभाग में निरीक्षक के रूप में कार्यरत संदीप सिंह धुर्वे अपने मकान में अचेत अवस्था में पड़े मिले। जब वे देर तक बाहर नहीं दिखे तो पड़ोसियों को कुछ अनहोनी की आशंका हुई और उन्होंने तुरंत पुलिस को सूचना दी। पुलिस पहुंची तो संदीप सिंह को बेहोशी की हालत में पाया गया। तत्काल उन्हें जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां ड्यूटी डॉक्टर ने जांच के बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया। अचानक हुई इस घटना से विभाग और क्षेत्र में शोक का वातावरण है। उनकी मौत किन परिस्थितियों में हुई, यह स्पष्ट नहीं है और पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही वास्तविक कारण सामने आएगा।
प्रारंभिक जानकारी के अनुसार संदीप सिंह धुर्वे पिछले दो दिनों से कार्यालय नहीं पहुंचे थे। बताया जा रहा है कि पिछले कुछ महीनों में उन्हें दो बार अटैक आ चुका था, जिससे उनके स्वास्थ्य को लेकर पहले से चिंता बनी हुई थी। वे घर में अकेले रहते थे, जिसके कारण उनकी तबीयत बिगड़ने का समय पर किसी को पता नहीं चल सका।
संदीप सिंह मूल रूप से छिंदवाड़ा जिले के रहने वाले थे और वर्ष 2006 से विभागीय सेवा में कार्यरत थे। उनके साथ काम करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों का कहना है कि वे शांत स्वभाव और जिम्मेदार अधिकारी माने जाते थे। अचानक हुए इस हादसे ने पूरे विभाग को स्तब्ध कर दिया है।
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पुलिस ने कमरे के हालात और आसपास के तथ्यों की जांच की है। मौत कब हुई यह भी पोस्टमार्टम रिपोर्ट से ही स्पष्ट होगा। फिलहाल पुलिस ने मामले को मर्ग कायम कर जांच शुरू कर दी है। परिजन को सूचना दे दी गई है और अंतिम संस्कार की तैयारी की जा रही है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि आसपास के लोगों को उनकी तबीयत खराब होने की जानकारी पहले मिल जाती तो शायद उन्हें बचाया जा सकता था। इस घटना ने एक बार फिर अकेले रहने वालों की सुरक्षा और स्वास्थ्य निगरानी को लेकर चिंता खड़ी की है। विभागीय अधिकारी और कर्मचारी उनके परिवार के साथ खड़े होने की बात कह रहे हैं।