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कानपुर: सेवानिवृत्त इंजीनियर को डिजिटल अरेस्ट कर 42.50 लाख ठगे
शातिरों ने जेट एयरलाइंस के संस्थापक नरेश गोयल के बैंक धोखाधड़ी वाले मामले में बर्रा जूही कलां के सेवानिवृत्त इंजीनियर को आरोपी बता 19 दिन तक डिजिटल अरेस्ट रखा। इस दौरान सीबीआई कार्यालय और सुप्रीम कोर्ट का सेटअप दिखा 42.50 लाख रुपये ठग लिए। यह रकम पीड़ित से मुंबई के बचत और चालू खातों में आरटीजीएस कराई थी। पीड़ित ने साइबर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। अब 26 नवंबर को बर्रा थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई है।
बर्रा के जूही कलां निवासी राजेंद्र प्रसाद सिंह पॉवर ग्रिड से सेवानिृवत्त इंजीनियर हैं और पत्नी पुष्पा के साथ रहते हैं। उन्होंने बताया कि सात अगस्त को अज्ञात नंबर से व्हाट्सएप कॉल आई। कॉल करने वाले ने स्वयं को सीबीआई में तैनात आईपीएस अधिकारी बताया। कहा कि उनके आधार कार्ड से मुंबई के केनरा बैंक में फर्जी खाता खोला गया है। इसका इस्तेमाल नरेश गोयल मनी लॉन्ड्रिंग केस में हुआ है। इसकी सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है उन्हें ऑनलाइन सुनवाई में उपस्थित होना होगा। इसके बाद से उन्हें लगातार वीडियो कॉल पर रखा और किसी अन्य से बात करने से मना किया। शातिरों ने कहा कि उनके पास जो भी धनराशि है वह आरबीआई जांच के लिए बताए गए खातों में ट्रांसफर करनी होगी। जांच में सही पाए जाने पर 72 घंटे बाद रकम लौटा दी जाएगी।
दबाव में आकर 11 से 21 अगस्त तक पांच बार में कुल 42.50 लाख रुपये अलग-अलग खातों में आरटीजीएस कर दिए। 18 अगस्त को ठगों ने ऑनलाइन सुप्रीम कोर्ट में हियरिंग भी कराई। इसमें एक सेट बनाया गया था जिसमें एक व्यक्ति ने जज बनकर पीड़ित से कहा कि उसका पैसा जांच में क्लीयर हो चुका है। शेष राशि की रिपोर्ट तीन दिन में देनी होगी। 26 अगस्त को ठगों ने एक और कॉल कर कहा कि सुप्रीम कोर्ट में उनका केस देखने वाला वकील एक लाख रुपये फीस मांग रहा है। पीड़ित ने जब कहा कि पैसे तो पहले ही जमा करा दिए गए हैं उसी में से फीस काट लें। इस पर ठगों ने इन्कार किया और कहीं से रुपये का इंतजाम करने को कहा। ऐसे में उन्होंने कहा कि अभी तक किसी को बताने से रोक रहे थे अब कैसे बता दूं। इस पर शातिरों ने बहाने से रुपये मांगने की सलाह दी। हालांकि इस बीच नोएडा में नौकरी करने वाले बेटे को शक हुआ तो वह घर आया। उसके आने पर भी कॉल चल रही थी जिसे उसने काटा और साथ ले जाकर साइबर थाने में शिकायत कराई।
डीसीपी साउथ दीपेंद्र नाथ चौधरी ने बताया कि जांंच एजेंसियां डिजिटल अरेस्ट नहीं करती हैं। शातिरों ने इस मामले में पीड़ित को बातों में फंसा कर डराया और उसी डर का फायदा उठाकर ठगी की है। प्राथमिकी दर्ज कर आरोपियों की तलाश की जा रही है। जिन खाताें में रुपये भेजे गए थे उनसे थोड़ी देर बाद ही निकाल भी लिए गए।
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