उमरिया जिले के सरकारी स्कूलो में छात्रों को मुफ्त में दी जाने वाली स्कूली ड्रेस में गोलमाल की खबर निकलकर सामने आ रही है। कहीं छात्रों को ड्रेस की राशि का इंतजार तो कहीं छात्र संख्या से ज्यादा ड्रेस पेटियों में कैद है। वहीं, चांदपुर स्कूल को सालों पहले ज्यादा मिली ड्रेस किसी काम की नहीं है।
छात्रों के नाम में गड़बड़ी से सुर्खियों में आया चांदपुर का शासकीय मिडिल स्कूल अब छात्रों के ड्रेस को लेकर चर्चा में है। स्कूल के कई बच्चे ऐसे हैं, जिनके बैंक खाता में ड्रेस की रकम नहीं पहुंची। लगता है मास्टर जी ने उसमें भी गड़बड़ी कर रखी है तो दूसरी तरफ स्कूल के स्टॉक में स्कूल की कुल छात्र संख्या 113 में से 65 बच्चों की ड्रेस गुरु जी कई साल से सहेज कर रखे हुए हैं और कहा जा रहा है कि ये ज्यादा आ गई थी, अब उन्हें बच्चों को नहीं बांट रहे।
जानकारी अभिभावकों तक पहुंची तो पालक संघ ने ड्रेस बांटने का दबाव बनाया। लेकिन मास्टर जी ऐसा करने की बजाय ऊपर के अधिकारियों से मार्गदर्शन मांग रहे हैं। शायद वो यह भूल रहे हैं कि ज्यादा दिनों तक ड्रेस को रखने से वो खराब होगी और किसी काम की नहीं रह जाएगी। इससे जाहिर होता है कि सरकार के द्वारा बच्चों को मुफ्त में दी जाने वाली ड्रेस में चल रही कोताही को कोई देखने वाला नहीं, यदि सही मॉनिटरिंग होती तो न तो स्कूलों को छात्र संख्या से ज्यादा ड्रेस दी जाती और न ही बच्चों को ड्रेस के लिए इंतजार ही करना पड़ता।
अभिभावक रूपलाल राय ने आरोप लगाते हुए बताया कि विद्यालय में अभी भी लगभग 45 सेट ड्रेस रखे हुए हैं, जो कि बच्चों को नहीं दिया गया है। इसके साथ ही जिन बच्चों के खाते में ड्रेस के पैसे आते हैं वह भी नहीं आए हैं। वहीं, इस संबंध में विद्यालय के हेड मास्टर जगत नारायण सोनी ने बताया कि ड्रेस आए थे। उन्हें संबंधित छात्रों को दे देना चाहिए था। लेकिन पूर्व में जो हेड मास्टर थे। उन्होंने क्या कुछ किया है, वह सब मुझे नहीं मालूम। लेकिन मुझे चार्ज के वक्त कुछ ड्रेस दिए गए थे, वह सब ड्रेस संस्था में अभी भी रखे हुए हैं। इसके लिए भी मैंने वरिष्ठ कार्यालय में पत्र जारी कर बता दिया हूं।

शिक्षकों के द्वारा विद्यालय के बच्चों को नहीं बांटे गए ड्रेस