जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने देश भर में मॉक ड्रिल आयोजित करने के निर्देश जारी किए थे। इसके तहत देश के 294 शहरों में मॉकड्रिल की योजना बनाई गई, जिनमें राजस्थान के 23 शहर भी शामिल थे। अलवर में यह मॉक ड्रिल डी-मार्ट परिसर में शाम ठीक चार बजे शुरू हुई।
मॉक ड्रिल का उद्देश्य हवाई हमले की स्थिति में नागरिकों और प्रशासनिक इकाइयों को तत्परता और बचाव के तरीके सिखाना था। जैसे ही सायरन बजा, सूचना मिली कि किसी स्थान पर बड़ी घटना घटी है। इसके बाद अलवर जिला प्रशासन की टीमें तुरंत सक्रिय होकर दौड़ पड़ी। जिला कलेक्टर डॉक्टर अर्तिका शुक्ला के नेतृत्व में सिविल डिफेंस, होमगार्ड, एनडीआरएफ और स्थानीय पुलिस के 200 से अधिक जवान मौके पर पहुंचे।
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अभ्यास के दौरान आपातकालीन सेवाओं की मुस्तैदी को परखा गया। एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड और सहायक उपकरण तुरंत मौके पर पहुंचे। मॉक ड्रिल के तहत डी-मार्ट के अंदर 15 लोगों को डमी के रूप में घायल अवस्था में दिखाया गया था, जिन्हें सफलता पूर्वक रेस्क्यू किया गया। इस दौरान नागरिकों को बताया गया कि हवाई हमले की स्थिति में खुद को और दूसरों को कैसे सुरक्षित रखना चाहिए। बाद में शाम 7:45 बजे से रात आठ बजे तक अलवर में ब्लैक आउट का निर्देश भी जारी किया गया। जैसे ही सायरन बजे, नागरिकों को अपने घरों की लाइट और सड़कों पर चल रहे वाहनों की हेड लाइट बंद करने का निर्देश दिया गया। ताकि संभावित हवाई हमले में शत्रु को नागरिक आबादी का स्थान पहचान में न आए।
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डॉक्टर अर्तिका शुक्ला ने मॉक ड्रिल को सफल बताते हुए कहा कि ऐसे अभ्यास नागरिकों और प्रशासन को आपात स्थिति में तत्परता और सुरक्षा के प्रति जागरुक करते हैं। उधर, ब्लैक आउट के दौरान पूरा जिला थम सा गया। इस दौरान ट्रेनें भी प्रभावित हुईं। शताब्दी एक्सप्रेस और डबल डेकर ट्रेन ब्लैक आउट के दौरान स्टेशन पर ही रुकी रही। शताब्दी एक्सप्रेस 15 मिनट और डबल डेकर ट्रेन छह मिनट तक खड़ी रही। इस दौरान कंपनी बाग के सामने रिवाज रिसोर्ट में हो रहा शादी समारोह भी पंद्रह मिनट तक रोक दिया गया।