अलवर नगर निगम में एक बार फिर चौंकाने वाला मामला सामने आया है। इस मामले ने भष्टाचार की कलई खोल कर रख दी है। निगम की जन्म-मृत्यु शाखा द्वारा करीब एक दर्जन से अधिक जन्म प्रमाण पत्र बिना किसी किसी रिकॉर्ड के जारी कर दिए गए। यह मामला तब उजागर हुआ, जब लोगों ने इस पर सवाल उठाए। बिना रिकॉर्ड जारी किए गए प्रमाण पत्रों से न केवल विभागीय कार्यशैली पर सवाल खड़े होते हैं बल्कि नगर निगम की पारदर्शिता भी गंभीर आरोपों के घेरे में आती है। हालात यह है कि जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करते समय रिकॉर्ड की अनदेखी तो की ही गई बल्कि आयुक्त के दस्तखत भी फर्जी लगा दिए गए।
नगर निगम आयुक्त जितेंद्र नरूका ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए बताया कि जैसे ही मामले की जानकारी मिली तीन सदस्यों की जांच समिति गठित कर दी गई है। यह जांच समिति जल्द ही जांच करके अपनी रिपोर्ट नगर निगम आयुक्त को सौंपेगी ताकि इन मामलों में कार्रवाई की जा सके। इसके साथ ही संबंधित कक्ष में भी बदलाव किया गया है तथा कुछ कर्मचारियों को पद से हटा भी दिया गया है, जो कर्मचारी हटाए गए हैं, उनकी कार्यशैली संदिग्धता के घेरे में आ रही है।
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गौरतलब है कि यह कोई पहला मामला नहीं है। पूर्व में भी ऐसी कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं, जिनमें बिना रिकॉर्ड के पैसे लेकर फर्जी प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं। यह सारा मामला नगर निगम में फैले भ्र्ष्टाचार को उजागर करता है। साथ ही यह भी दर्शाता है कि नगर निगम में लंबे समय से फर्जीवाड़ा चल रहा था, जिस पर अब जाकर प्रशासन ने संज्ञान लिया है। यदि प्रशासन अब भी कोई संज्ञान नहीं लेता तो संभवत: यह फर्जीवाड़ा ऐसे ही चलता रहता और कर्मचारी फर्जी प्रमाण पत्रों के जरिये पैसा बटोरते रहते।