अलवर की पॉक्सो कोर्ट संख्या 02 ने एक दिल दहला देने वाले मामले में 11 वर्षीय नाबालिग बेटी को देह व्यापार के लिए बेचने वाली मां को 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। विशेष न्यायाधीश शिल्पा समीर ने इस मामले में कठोर रुख अपनाते हुए आरोपी मां पर साढ़े पांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि ऐसे जघन्य अपराधों में नरमी बरतने से समाज में गलत संदेश जाएगा।
नाबालिग बेटी को 10 हजार में बेचा
जानकारी के मुताबिक, यह मामला पश्चिम बंगाल की एक महिला से जुड़ा है, जिसने अपनी 11 साल की बेटी को 10 हजार रुपये में बेच दिया। पीड़िता को कोलकाता से अलवर के गाजूकी गांव लाया गया, जहां उसे छह महीने तक देह व्यापार के लिए मजबूर किया गया। पीड़िता ने बताया कि उसे बिल्लो नाम की एक महिला ने जबरन इस गलत धंधे में धकेला। यह घटना मानवता को शर्मसार करने वाली है, जिसमें एक मां ने अपनी ही बेटी को इस क्रूरता का शिकार बनाया। इस मामले ने समाज में नाबालिगों की सुरक्षा और माता-पिता की जिम्मेदारी को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
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पुलिस को मिली गुप्त सूचना
जानकारी के मुताबिक, सात अगस्त 2016 को तत्कालीन सदर थाना प्रभारी कैलाश चौधरी को गाजूकी गांव में देह व्यापार की गुप्त सूचना मिली थी। सूचना के आधार पर पुलिस ने त्वरित कार्रवाई कर छापामारी की और 11 साल की नाबालिग बच्ची को बिल्लो नाम की महिला के घर से बरामद किया। पूछताछ में बच्ची ने बताया कि उसे छह महीने पहले कोलकाता से लाया गया था और बिल्लो ने उसे जबरन देह व्यापार में धकेला। इस खुलासे के बाद पुलिस ने मामले की गहन जांच शुरू की और बिल्लो को गिरफ्तार कर लिया। इस घटना ने पूरे क्षेत्र में हड़कंप मचा दिया और पीड़िता के परिवार की क्रूरता ने सभी को स्तब्ध कर दिया।
बिल्लो को पहले मिली सजा
अनुसंधान अधिकारी जितेंद्र नावरिया ने बिल्लो को गिरफ्तार कर उसके खिलाफ जांच पूरी की। लंबी सुनवाई के बाद 26 जुलाई 2019 को पॉक्सो कोर्ट ने बिल्लो को पांच साल की सजा सुनाई। जांच में पता चला कि बिल्लो ने नाबालिग को 10 हजार रुपये में खरीदा था। उस समय पीड़िता की मां और उसका एक सहयोगी फरार थे। पुलिस ने दोनों फरार आरोपियों की तलाश जारी रखी और गिरफ्तारी वारंट जारी किए। आखिरकार 14 अगस्त 2023 को पुलिस ने पीड़िता की मां को पश्चिम बंगाल से गिरफ्तार कर लिया। इस कार्रवाई ने मामले को और गति दी और कोर्ट में अंतिम सुनवाई की प्रक्रिया शुरू हुई।
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कोर्ट का कठोर फैसला
दो अगस्त 2025 को विशेष पॉक्सो कोर्ट की न्यायाधीश शिल्पा समीर ने पीड़िता की मां को दोषी ठहराते हुए 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई। कोर्ट ने इस मामले में साढ़े पांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। फैसले में कोर्ट ने कहा कि इस तरह के अपराधों में नरमी बरतना समाज में गलत संदेश देगा। इसलिए आरोपी मां को कठोर सजा दी गई ताकि भविष्य में कोई भी ऐसी क्रूरता करने से पहले सौ बार सोचे। विशिष्ट लोक अभियोजक पंकज यादव ने बताया कि इस मामले में मजबूत सबूत और पीड़िता के बयानों ने कोर्ट को यह कठोर फैसला लेने में मदद की।