भगवान महावीर स्वामी के 2624वें जन्म कल्याणक पर गुरुवार को सकल जैन समाज की ओर से शहर में शोभायात्रा का आयोजन किया गया। सुबह से आरंभ हुए कार्यक्रम का समापन देर शाम स्वामी वात्सल्य के साथ हुआ।
भगवान महावीर स्वामी के 2624वें जन्म कल्याणक पर शोभायात्रा की शुरुआत कुशलबाग मैदान से हुई, जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। शोभायात्रा कुशलबाग मैदान से शुरू होकर गांधी मूर्ति, चंद्रपोल , पीपली चौक, आजाद चौक, पाला रोड, नई आबादी होते हुए पुनः कुशलबाग मैदान पहुंची। शोभायात्रा में भगवान महावीर स्वामी की आकर्षक झांकियां सजाई गईं, जो श्रद्धालुओं और आमजन के लिए आकर्षण का केंद्र रहीं।
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धार्मिक गीतों, भजन की स्वर लहरियों तथा धार्मिक नारों से शहर का माहौल भक्तिमय हो गया। जगह-जगह स्वागत द्वार और जलपान की व्यवस्था की गई थी। शोभायात्रा में पुरुष व युवा सफेद और महिलाएं लाल परिधान पहन कर सम्मिलित हुए। शाम 6 बजे से दाहोद मार्ग पर सकल जैन समाज का स्वामी वात्सल्य का आयोजन हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में समाजजन सम्मिलित हुए।
महावीर के सिद्धांत आज भी प्रसांगिक
इससे पूर्व कुशलबाग मैदान में राष्ट्रीय संत आचार्य पुलक सागर महाराज ने आध्यात्मिक प्रवचन दिए। उन्होंने अहिंसा, सत्य और संयम के महत्व को उद्घाटित किया। उन्होंने कहा कि ढाई हजार वर्ष पहले जन्मे भगवान महावीर के सिद्धांत वर्तमान में भी प्रासंगिक हैं। इन सिद्धांतों का विश्व अनुसरण करने लगे तो चहुंओर शांति स्थापित हो जाएगी। जैसा कि कहा जाता है कि भगवान महावीर के समय शेर और गाय एक ही घाट पर पानी पीते थे, यह महावीर स्वामी के अहिंसा के संदेश का आत्मसात करने पर संभव हो सकता है। जैनाचार्य के प्रवचन के दौरान कई साधु-संतों की उपस्थिति रही, जिससे वातावरण पूरी तरह धर्ममय हो गया।