बांसवाड़ा जिले में शिवभक्तों की आस्था और उत्साह ने एक बार फिर नई ऊंचाई छू ली, जब रविवार को कांवड़ यात्रा संघ के तत्वावधान में बेणेश्वर से मंदारेश्वर तक वार्षिक कांवड़ यात्रा का आयोजन हुआ। इस भव्य यात्रा में हजारों कांवड़ यात्री शामिल हुए, जिन्होंने भगवान शिव के जयकारों के साथ 45 किलोमीटर की पदयात्रा प्रारंभ की।
सुबह से ही भक्तों का बेणेश्वर धाम पहुंचना शुरू हो गया था। यहां माही, सोम और जाखम नदियों के त्रिवेणी संगम पर पवित्र स्नान कर भक्तों ने पूजा-अर्चना की। इसके बाद लोटे, बोतलें और घड़ों में जल भरकर बोल बम के नारों के साथ यात्रा की शुरुआत की गई।
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शिव की भक्ति में सराबोर कांवड़िये
इस यात्रा में युवा, महिलाएं, बच्चे और बुजुर्गों ने कंधों पर कांवड़ लिए समूहों में भाग लिया। मार्ग भर में ‘बोल बम’, ‘बाबा नगरिया दूर है, जाना बहुत जरूरी है’ जैसे जयघोष गूंजते रहे। कई भक्त शिव प्रतिमा और भगवा ध्वज या तिरंगा लेकर चल रहे थे, जिससे वातावरण पूरी तरह शिवमय बन गया। रास्ते में मोटाटाण्डा, गनोड़ा, भीमपुर, सुंदनी, चंदूजी का गढ़ा, चिड़ियावासा, बड़गांव, डांगपाड़ा, जानामेड़ी, जानावरी जैसे गांवों में स्थानीय लोगों, धार्मिक और स्वयंसेवी संगठनों ने कांवड़ यात्रियों का स्वागत किया। यात्रियों के लिए फलाहार, पानी, दवा और प्राथमिक चिकित्सा की भी समुचित व्यवस्था की गई थी।
बेणेश्वर से मंदारेश्वर तक यात्रा को सुचारु रूप से संचालित करने में कांवड़ यात्रा संघ का महत्वपूर्ण योगदान रहा। संघ अध्यक्ष रणजीतसिंह शेखावत के नेतृत्व में कांतिलाल पटेल, धरणीधर पंड्या, केके शुक्ला, प्रफुल्ल दक, हरिप्रसाद मेहता और लक्ष्मणदास सोतानी सहित कई कार्यकर्ता यात्रा के दौरान लगातार व्यवस्थाओं पर निगरानी रखते रहे। वहीं, यात्रा की सुरक्षा के लिए पुलिस प्रशासन ने भी विशेष प्रबंध किए। बांसवाड़ा-उदयपुर मार्ग पर आने-जाने वाले वाहनों को डूंगरपुर मार्ग पर डायवर्ट किया गया, ताकि कांवड़ यात्रियों को किसी प्रकार की परेशानी न हो।
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सड़कों की हालत बनी चुनौती
भारी बारिश के कारण क्षतिग्रस्त और उखड़ी सड़कों ने भक्तों की राह जरूर कठिन की। कावड़ यात्रियों के पैरों में कंकड़ चुभने से कई श्रद्धालु परेशान नजर आए। शहर की सीमा में भी सड़कों की स्थिति खराब रही, जिससे यात्रा के अंतिम पड़ाव पर चलने में विशेष कठिनाई हुई। हालांकि धार्मिक संगठनों ने पहले ही प्रशासन से सड़कों पर पैचवर्क कराने की मांग की थी, लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिए जाने से असुविधा और नाराजगी दोनों देखी गई।