राज्य सरकार की ओर से जालौर, पाली, सिरोही और बाड़मेर की पेयजल समस्या के के समाधान के लिए माही बांध को जवाई बांध से जोड़ने के 7 हजार करोड़ के प्रोजेक्ट संबंधी बजट घोषणा के अन्तर्गत 15.60 करोड़ रुपये की डीपीआर बनवाने की मंजूरी दी गई है। इसके बाद भी राज्य सरकार का यह प्रयास धरातल पर उतरने को लेकर संशय है। इसका मुख्य कारण गुजरात की सहमति नहीं लेना है। माही बांध का पानी रोककर राजस्थान में ही उपयोग करने पर गुजरात का कडाना बांध प्रभावित होगा, जो गुजरात कतई स्वीकार नहीं होगा और राज्य सरकार के इस कदम से अंतरराज्यीय जल विवाद और बढ़ने की आशंका रहेगी।
राज्य सरकार ने वर्ष 2024-25 के बजट में माही और सोम नदी के अधिशेष जल को जयसमंद सहित अन्य बांधों को भरकर जवाई बांध तक लाने संबंधी कार्य की घोषणा की थी। इस कार्य की 15.60 करोड़ रुपये की डीपीआर तैयार करने के लिए प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता जयपुर ने जारी की है। साथ ही जल संसाधन सलूम्बर खंड ने वाप्कोस लिमिटेड से अनुबंध कर कार्यादेश जारी किया और इन्सपेक्शन रिपोर्ट मिलने पर इसका अनुमोदन भी कर दिया।
यह आएगी प्रमुख बाधा
माही बांध का निर्माण गुजरात के सहयोग से हुआ था। उस समय दोनों राज्यों के बीच समझौता हुआ था। समझौते में यह स्पष्ट उल्लेख है कि माही बांध की कुल भराव क्षमता 77 टीएमसी पानी में से गुजरात का हक 40 टीएमसी पानी पर रहेगा। यह समझौता आज भी कायम है। बजट घोषणा के तहत राज्य सरकार माही बांध का अधिशेष पानी जालौर-बाड़मेर ले जाना चाह रही है, लेकिन समझौते के तहत 40 टीएमसी पानी का हक होने और इसका राजस्थान में उपयोग होने पर गुजरात की आपत्ति को झेलना होगा।
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सीडब्ल्यूसी और गुजरात की सहमति आवश्यक
इस विषय में जल संसाधन विभाग के सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता दीपक दोसी ने बताया कि माही अंतरराज्यीय नदी है, जो मध्यप्रदेश से निकलती है। राजस्थान से गुजरात होकर खंभात की खाड़ी तक जाती है। राजस्थान के अन्य जिलों में ले जाने के लिए माही का पानी रोकना होगा। पानी के रोकने पर कडाना बांध प्रभावित होगा और इसके लिए गुजरात सहमति नहीं देगा। गुजरात की ओर से सहमति नहीं मिलने पर केंद्रीय जल आयोग की ओर से भी स्वीकृति नहीं मिलेगी, जिससे वित्तीय सहायता मिलना भी असंभव होगा। साथ ही अंतरराज्यीय जल विवाद होने की भी आशंका रहेगी।
फाइलों में दफन हुई डीपीआर
गौरतलब है कि मानसी वाकल से जवाई बांध के जल अपवर्तन की डीपीआर भी राज्य सरकार की ओर से बनवाई गई थी। गुजरात का कडाना बांध प्रभावित होने के कारण यह केंद्र सरकार में पिछले पांच-सात वर्ष से लंबित होकर फाइलों में दफन है। ऐसे में गुजरात की सहमति नहीं मिलने पर नई डीपीआर बनाने पर भी धरातल पर उतर पाएगी, इसमें संशय है।
युवक कांग्रेस का जल सत्याग्रह
इधर, माही बांध का पानी बांसवाड़ा जिले के दानपुर, आंबापुरा सहित दूरस्थ इलाकों तथा डूंगरपुर तक नहीं पहुंचा है। ऐसे में माही के पानी को जालौर, पाली, सिरोही, बाड़मेर तक ले जाने के लिए डीपीआर बनाने का विरोध भी शुरू हो गया है। युवक कांग्रेस की ओर से माही बांध के बैकवाटर में गुरूवार दोपहर को जल सत्याग्रह किया गया। इस दौरान प्रदेश महासचिव सुभाष निनामा ने कहा कि माही के पानी पर पहला हक बांसवाड़ा और डूंगरपुर है। आंबापुरा, दानपुर इलाका आज भी सूखा है। भाजपा सरकार की मनमानी चलने नहीं दी जाएगी। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रहे अरविंद डामोर ने कहा कि भाजपा सरकार नहीं चेती तो वागड़ में बड़ा आंदोलन किया जाएगा। माही बांध का निर्माण दानपुर, छोटी सरवन, आंबापुरा के किसानों की जमीन पर बना है। डूब में आने पर सैकड़ों परिवार विस्थापित हुए। इस दौरान सुनील कुमार, मुन्नवर हुसैन, रूपेश, मगनलाल, गौतमलाल, कैलाशचंद्र आदि कार्यकर्ता मौजूद रहे।