भीलवाड़ा की बेटी अश्विनी विश्नोई ने अपने संघर्ष, प्रतिभा और समर्पण से इतिहास रच दिया है। एथेंस में आयोजित अंडर-17 वर्ल्ड कुश्ती चैंपियनशिप में अश्विनी ने 65 किलोग्राम भार वर्ग में कजाकिस्तान की पहलवान मुखायो राखीमजोनोवा को 3-0 से पराजित कर स्वर्ण पदक अपने नाम किया। खास बात यह रही कि उन्होंने पूरे टूर्नामेंट में एक भी अंक नहीं गंवाया। इस ऐतिहासिक उपलब्धि के साथ अश्विनी राजस्थान की पहली महिला पहलवान बन गई हैं, जिन्होंने वर्ल्ड कुश्ती चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर न केवल प्रदेश बल्कि पूरे देश को गौरवान्वित किया है।
भीलवाड़ा में हुआ भव्य स्वागत, गूंजा 'जय हो अश्विनी'
सोमवार को जैसे ही अश्विनी विश्नोई अपने गृह नगर भीलवाड़ा पहुंचीं, वहां का माहौल उत्सव में बदल गया। रेलवे स्टेशन पर उन्हें देखने और स्वागत करने के लिए जनसैलाब उमड़ पड़ा। लोग गोल्डन गर्ल अश्विनी के नारे लगाते हुए उन्हें कंधों पर बैठाकर स्टेशन से बाहर लाए। फूल-मालाओं से लदी अश्विनी का स्वागत ढोल-नगाड़ों और पुष्प वर्षा के साथ हुआ। रेलवे स्टेशन से शहर के प्रमुख मार्गों से भव्य जुलूस निकाला गया, जहां हर गली-मोहल्ले में लोग अपनी बेटी की एक झलक पाने को आतुर नजर आए।
‘ये मेरा पहला वर्ल्ड गोल्ड है, अगला लक्ष्य ओलंपिक’
मीडिया से बातचीत में अश्विनी विश्नोई ने कहा कि यह मेरी जिंदगी का पहला वर्ल्ड गोल्ड है, जिसकी खुशी शब्दों में बयान नहीं की जा सकती। पिछली बार चोट के कारण मौका छूट गया था, लेकिन इस बार मैंने ठान लिया था कि जीतकर ही लौटूंगी। अब मेरी नजर 2028 ओलंपिक में गोल्ड पर है। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और कोच को दिया, जिन्होंने हर परिस्थिति में उनका साथ दिया। अश्विनी ने खासतौर पर अपने पिता की मेहनत को याद करते हुए कहा कि उन्होंने कभी हार नहीं मानी और मुझे कभी कमजोर महसूस नहीं होने दिया।
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संघर्षों की मजबूत नींव पर खड़ी है यह जीत
अश्विनी के पिता मुकेश विश्नोई, भीलवाड़ा की एक कपड़ा मिल में मजदूरी करते हैं। बेटी की इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर भावुक होकर उन्होंने कहा कि हमने जो कुछ भी था, सब उसकी ट्रेनिंग और सपनों के लिए लगा दिया। उसका जुनून, अनुशासन और मेहनत ने हमें यह दिन दिखाया। अब मैं चाहता हूं कि वह 2028 ओलंपिक में भारत के लिए गोल्ड लेकर आए। उन्होंने बताया कि अश्विनी का बचपन से ही संघर्ष और अनुशासन से गहरा नाता रहा है। पहले भी वह एशियन चैंपियनशिप में चार गोल्ड जीत चुकी है। लेकिन यह वर्ल्ड गोल्ड उनकी मेहनत की सबसे बड़ी पहचान है।
‘थकना जानती नहीं थी यह लड़की’
अश्विनी के कोच ने बताया कि वह श्रीराम शाला में रोजाना सुबह और शाम तीन-तीन घंटे कठिन अभ्यास करती थीं। उसका जुनून ही उसे बाकी खिलाड़ियों से अलग बनाता था। वह कभी थकती नहीं थी, न ही कभी बहाने बनाती। जीत की भूख उसकी आंखों में हमेशा दिखती थी। कोच ने बताया कि ग्रीस में हुए सभी पांच मुकाबलों में अश्विनी ने विरोधियों को एक भी अंक नहीं लेने दिया। यह उसके असाधारण तकनीकी कौशल और मानसिक संबल को दर्शाता है।
मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री ने दी बधाई
अश्विनी ने जयपुर में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा से मुलाकात की। मुख्यमंत्री ने उन्हें गले लगाकर बधाई दी और कहा कि अश्विनी ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत और राजस्थान का नाम रोशन किया है। यह राज्य की बेटियों की शक्ति और प्रतिभा का जीवंत प्रमाण है।
वहीं, डिप्टी सीएम बैरवा ने सोशल मीडिया पर लिखा कि राजस्थान की छोरी, छोरां स्यूं कम कोनी। उन्होंने अश्विनी के साथ तस्वीर साझा कर यह जीत पूरे प्रदेश के लिए गर्व की बात बताई।
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राजस्थान में रेसलिंग को मिलेगा नया जोश
राजस्थान कुश्ती संघ के अध्यक्ष राजीव दत्ता ने अश्विनी की ऐतिहासिक जीत पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस जीत ने राज्य में रेसलिंग की एक नई क्रांति की शुरुआत कर दी है। अब हर टूर्नामेंट में राजस्थान के पहलवान अपनी छाप छोड़ेंगे। अश्विनी की सफलता पूरे प्रदेश की प्रेरणा बनेगी।