प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'वोकल फॉर लोकल' संदेश का असर इस बार दीपावली पर जोधपुर के बाजारों में साफ नजर आ रहा है। स्थानीय उत्पादों और स्वदेशी वस्तुओं को लेकर लोगों में अभूतपूर्व उत्साह देखने को मिल रहा है। सूर्यनगरी के बाजार खरीदारों से गुलजार हैं और स्वदेशी उत्पादों की बिक्री में पिछले वर्षों की तुलना में उल्लेखनीय बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
प्रधानमंत्री के संदेश से बढ़ा स्वदेशी उत्साह
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से अपील की थी कि त्योहारों के दौरान स्थानीय शिल्प, कौशल और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए स्वदेशी उत्पादों को अपनाएं। इस संदेश ने लोगों में राष्ट्रीय गौरव और आत्मनिर्भरता की भावना को और प्रबल किया है। इसका सीधा असर जोधपुर के बाजारों में दिखाई दे रहा है। गिरदीकोट मार्केट सहित शहर के प्रमुख व्यापारिक इलाकों में हाथ से बने उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ी है। दुकानदारों का कहना है कि इस बार लोकल उत्पादों की बिक्री पिछले साल की तुलना में तीन से चार गुना अधिक रहने की उम्मीद है।
जोधपुर की मिठाइयों में भी 'लोकल' की मिठास
सूर्यनगरी जोधपुर की पारंपरिक मिठाइयों की भी इस बार विशेष मांग है। यहां की गोंद गिरी के लड्डू, बादाम की चक्की, मावे की कचोरी और नमकीन देशभर में प्रसिद्ध हैं। मिठाई की दुकानों पर प्रीमियम पैकेजिंग और आकर्षक गिफ्ट बॉक्स की मांग भी बढ़ी है। मिठाई विक्रेता रमेश अग्रवाल बताते हैं कि पारंपरिक मिठाइयों के साथ-साथ इस बार विशेष प्रीमियम मिठाइयां भी तैयार की गई हैं, जिनकी कीमत ₹7000 प्रति किलो तक है। इन मिठाइयों को ग्राहकों की विशेष मांग पर बनाया जा रहा है और लोगों में इनके प्रति खास क्रेज देखा जा रहा है।
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स्थानीय उत्पादों की बिक्री में बढ़ोतरी
गिरदीकोट बाजार में लोकल उत्पाद बेचने वाले साजिद अली बताते हैं कि प्रधानमंत्री के संदेश के बाद ग्राहकों में जागरूकता बढ़ी है। दिवाली के मौके पर लोग अब हाथ से बने स्वदेशी उत्पादों को प्राथमिकता दे रहे हैं, जिससे बिक्री में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। वहीं, खरीदारों का कहना है कि उन्होंने इस बार अपने घरों में विशेष रूप से भारतीय उत्पादों का उपयोग करने का निर्णय लिया है। उनका कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संदेश के बाद हमारे परिवार और आस-पड़ोस में भी स्वदेशी वस्तुओं को लेकर नई जागरूकता आई है, जिससे बाजारों में भीड़ बढ़ी है।
स्वदेशी बाजार की नई पहचान
जोधपुर के बाजारों में इस बार न केवल सजावट और रौनक देखने लायक है, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की झलक भी दिखाई दे रही है। स्थानीय शिल्पकारों और छोटे व्यापारियों को इससे बड़ा आर्थिक लाभ मिल रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह रुझान इसी तरह जारी रहा, तो आने वाले वर्षों में स्वदेशी उद्योगों को नई पहचान और स्थायित्व मिलेगा।
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