केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत रविवार को अपने गृह नगर जोधपुर पहुंचे। एयरपोर्ट पर पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने देश और राजनीति से जुड़े विभिन्न समसामयिक मुद्दों पर अपनी बात रखी। इस दौरान उन्होंने सांस्कृतिक आयोजनों, SIR को लेकर हो रहे विरोध और संसद में विपक्ष के आचरण पर खुलकर अपनी राय रखी।
सरेन्डिपिटी आर्ट फेस्टिवल पर अनुभव साझा किया
केंद्रीय मंत्री ने गोवा में आयोजित सरेन्डिपिटी आर्ट फेस्टिवल का उल्लेख करते हुए कहा कि यह देश का सबसे बड़ा सांस्कृतिक महोत्सव है, जो पिछले कई वर्षों से लगातार आयोजित हो रहा है। उन्होंने बताया कि हीरो मोटर्स के सहयोग से आयोजित इस फेस्टिवल का यह दसवां चैप्टर था। शेखावत के अनुसार इस आयोजन में विजुअल आर्ट और परफॉर्मेंस आर्ट से जुड़े 900 से अधिक इवेंट्स होते हैं, जो मल्टीपल लोकेशन पर आयोजित किए जाते हैं और पूरा शहर इसमें शामिल रहता है। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन शहरों में पर्यटन को बढ़ावा देते हैं और उनका अनुभव इस फेस्टिवल को लेकर बेहद सकारात्मक रहा।
SIR को लेकर विपक्ष पर निशाना
SIR के मुद्दे पर बोलते हुए गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं, उन्हें स्वयं भी यह स्पष्ट नहीं है कि वे किस कारण से इसका विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि केवल विरोध करने के उद्देश्य से विरोध किया जा रहा है। शेखावत ने कहा कि कुछ लोग इस आशंका में विरोध कर रहे हैं कि भारत की संवैधानिक व्यवस्था के अनुरूप जो मतदाता नहीं होने चाहिए, उनके नाम मतदाता सूची में होंगे और उन्हें अनुचित लाभ मिल रहा होगा। ऐसे लोग ही SIR का विरोध कर रहे हैं।
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विरोध में दिख रही असमंजस की स्थिति
केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि कुछ लोग ऐसे हैं जो कुछ समय पहले स्वयं SIR की मांग कर रहे थे और अब वही लोग इसका विरोध कर रहे हैं। उन्होंने इसे भ्रमित मनस्थिति का परिणाम बताया और कहा कि ऐसे लोगों का भ्रम उन्हें मुबारक। शेखावत ने कहा कि सरकार और संस्थाएं पूरी प्रतिबद्धता के साथ अपना काम कर रही हैं। चुनावों का निष्पक्ष संचालन सुनिश्चित करना चुनाव आयोग की संविधान प्रदत्त जिम्मेदारी है और उसी जिम्मेदारी के तहत आयोग सभी आवश्यक कदम उठा रहा है।
संसद में विपक्ष के आचरण पर टिप्पणी
संसद में विपक्ष द्वारा पेपर फाड़ने के मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए शेखावत ने कहा कि संसद वह स्थान है जहां चर्चा, विचार-विमर्श और विचारों का आदान-प्रदान होना चाहिए। उन्होंने कहा कि संसद में सरकार के निर्णयों की समीक्षा होनी चाहिए और योजनाएं धरातल पर कैसे उतर रही हैं, इस पर गंभीर चर्चा होनी चाहिए। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि दुर्भाग्य से पिछले कुछ वर्षों से संसद को राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति का अखाड़ा बना दिया गया है, जो अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है।