जोधपुर में रविवार को केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने श्री पारसमल बोहरा नेत्रहीन महाविद्यालय के नए भवन का शिलान्यास किया। इसी अवसर पर दिवंगत समाजसेवी सुशीला बोहरा की आत्मकथा ‘मैं न थकी न हारी’ का विमोचन भी किया गया, जिसे ब्रेल लिपि में प्रकाशित किया गया है।
भव्य भवन और छात्रावास का निर्माण
महाविद्यालय का नया भवन 3 करोड़ 46 लाख रुपये की लागत से बनेगा। इसके साथ ही गर्ल्स और बॉयज हॉस्टल के निर्माण पर 5 करोड़ 48 लाख रुपये-5 करोड़ 48 लाख रुपये की लागत आएगी। इस संस्थान की स्थापना से अब तक 4626 विद्यार्थियों को शिक्षा दी जा चुकी है, 4000 से अधिक महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया गया है और 8583 विशेष योग्यजनों को विभिन्न योजनाओं का लाभ पहुंचाया गया है।
दानदाताओं और विशिष्ट अतिथियों के उद्बोधन
कार्यक्रम में उद्योगपति मोतीलाल ओसवाल ने घोषणा की कि उनकी संस्था ने 100 करोड़ रुपये के निवेश और 87 बीघा जमीन लेकर शिक्षा व किसानों की आय बढ़ाने का मॉडल तैयार किया है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में किसानों की आमदनी 2 से 4 गुना बढ़ाने के बाद अब राजस्थान में भी किसानों को प्रशिक्षण दिया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संदीप मेहता ने संस्थान से अपने 25 साल पुराने जुड़ाव को याद करते हुए बताया कि कैसे शुरुआती दिनों में समाजसेवियों ने फर्नीचर की कमी पूरी की। उन्होंने कहा कि यहां से पढ़े कई बच्चे आज प्रोफेसर, वकील और उच्च पदों पर कार्यरत हैं।
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि यह शिलान्यास मात्र एक भवन का नहीं, बल्कि दिव्यांगजन को सहारा और संबल देने की दिशा में एक बड़ा कदम है। उन्होंने सुशीला बोहरा की जीवन यात्रा को “तमसो मा ज्योतिर्गमय” का प्रतीक बताते हुए कहा कि संसाधनों की कमी हमेशा संकल्प शक्ति के आगे हार मान जाती है।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि यह भवन शिक्षा, सम्मान और आत्मनिर्भरता के नए द्वार खोलेगा। उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह का स्वागत करते हुए अनुच्छेद 370, आतंकवाद, नक्सलवाद और CAA जैसे मुद्दों पर लिए गए निर्णयों को देश के लिए ऐतिहासिक बताया।
गृहमंत्री अमित शाह का संबोधन
अमित शाह ने सुशीला बोहरा के कार्यों को नमन करते हुए कहा कि उनकी जीवन यात्रा सेवा और त्याग की मिसाल है। उन्होंने कहा कि अंधेरा चाहे कितना भी गहन क्यों न हो, एक दीप पूरे वातावरण को प्रकाशमय कर देता है। सुशीला बोहरा का योगदान भी सैकड़ों बच्चों के जीवन को रोशन करने वाला दीप है।
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अमित शाह ने दिव्यांगजन सशक्तिकरण के लिए केंद्र सरकार के प्रयासों का उल्लेख करते हुए बताया कि दिव्यांगजन फंड 1300 करोड़ रुपये तक बढ़ाया गया है। देश के 33 अंतर्राष्ट्रीय और 55 घरेलू हवाई अड्डों को दिव्यांगजन के अनुकूल बनाया गया है। जहां 75 वर्षों में केवल 7 लाख लोगों को कृत्रिम अंग मिले थे, वहीं पिछले 10 वर्षों में 31 लाख लोगों को कृत्रिम अंग उपलब्ध कराए गए हैं।
उन्होंने बताया कि भारत ने हाल ही में दिव्यांग क्षेत्र में 10 विश्व रिकॉर्ड बनाए हैं, जिनमें से 8 रिकॉर्ड पुराने तोड़कर नए बनाए गए हैं। शाह ने कहा कि दिव्यांगजन डॉक्टर, कलेक्टर और प्रोफेसर बनकर देश सेवा कर सकते हैं और समाज की जिम्मेदारी है कि उन्हें उचित मंच दिया जाए।
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सुशीला बोहरा का योगदान
कार्यक्रम में यह भी उल्लेख किया गया कि सुशीला बोहरा ने अपने पति की असमय मृत्यु के बाद समाज सेवा का मार्ग चुना और विशेष रूप से दिव्यांगजनों की शिक्षा व आत्मनिर्भरता के लिए जीवन समर्पित कर दिया। उनके प्रयासों से इस संस्थान ने हजारों बच्चों को नई दिशा दी है।