हाल ही में जयपुर के ट्रॉमा हॉस्पिटल के आईसीयू में हुए हादसे के बाद प्रदेश के अस्पतालों में भी जांच शुरू हो गई है। इसी कड़ी में कोटा जिला कलेक्टर के निर्देश के बाद अग्निशमन विभाग द्वारा कोटा जेके लोन ओपीडी पुरानी बिल्डिंग का सुरक्षा की दृष्टि से निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान जे. के. लोन ओपीडी हॉस्पिटल पुरानी बिल्डिंग में फायर अलार्म सिस्टम कार्यशील अवस्था में नहीं पाया गया, हौज बॉक्स के सामने बैठने की सीट लगी हुई थी, प्रशिक्षित अग्निशमन कर्मचारी उपलब्ध नहीं थे एवं निकासी द्वार पर अनावश्यक सामान एकत्रित किया गया था। इसके अलावा स्मोक डिटेक्टर सही से काम नहीं कर रहा था और कई जगह पर आग बुझने की मशीनें खत्म मिली।
जे. के. लोन के न्यू आईपीडी हॉस्पिटल में अग्निशमन उपकरण स्थापित मिले लेकिन प्रशिक्षित अग्निशमन कर्मचारी नहीं थे। स्मोक डिटेक्टर भी सही से काम नहीं कर रहा था और हाईड्रेन्ट सिस्टम में पानी का प्रेशर कमजोर था। डीलक्स न्यू कॉटेज वार्ड, फीमेल सर्जिकल वार्ड में कुछ उपकरण कार्यशील अवस्था में नहीं पाए गए, लिफ्ट के अन्दर रोशनी अपर्याप्त थी। तीनों अस्पतालों में अग्निशमन से संबंधित अनियमितताएँ पाई गई। इस संबंध में अस्पताल प्रशासन को 7 दिवस में अग्निशमन उपकरण कार्यशील अवस्था में रखने हेतु सुझाव दिए गए।
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वहीं अस्पताल प्रशासन को मॉक ड्रिल करवाने, अस्पताल परिसर में 24 घंटे प्रशिक्षित अग्निशमन कर्मचारी तीनो पारियों में तैनात रखने, लूज वायरिंग को दुरुस्त करवाने तथा 24 घंटे इलेक्ट्रीशियन रखने, अस्पताल परिसर में अग्निशमन आपातकालीन निकास बोर्ड लगवाने तथा पुलिस तथा फायर कंट्रोल रूम के नंबर अंकित करवाने के सुझाव दिए गए।
अस्पताल परिसर में आवागमन के रास्तों पर कचरा न होने एवं मार्ग साफ रखने एवं अनावश्यक सामान इकट्ठा न करने के लिए पाबंद किया गया। साथ ही हॉस्पिटल भवनों में कबाड़, पुराना सामान, कॉटन, रुई, पुराने फर्नीचर आदि सामानों का निस्तारण करने एवं अग्निशमन वाहन पहुँंच मार्ग खुला रखने के निर्देश दिए गए। यह कार्यवाही मुख्य अग्निशमन अधिकारी राकेश व्यास के नेतृत्व में अग्निशमन अधिकारी अमजद खान, अग्निशमन अधिकारी मोहम्मद अजहर खान, सहायक अग्निशमन अधिकारी सीता चौपदार एवं अग्निशमन अनुभाग की टीम द्वारा की गई।