भारतीय जनता पार्टी के पूर्व प्रदेश कोषाध्यक्ष रामकुमार भूतड़ा एक दिवसीय नागौर के दौरे पर आए। भूतड़ा एक ऐसे राजनेता के रूप में उभरे, जिन्होंने नि:स्वार्थ भाव से समाज ही नहीं राजनीति भी की। अमर उजाला से विशेष बातचीत के दौरान भूतड़ा बोले, हमारा समाज देश के विकास में बहुत पिछड़ रहा है। क्योंकि हमारी हमारा समाज पहले नौकरी के चक्कर में या राजनीति के चक्कर में समय पर संतान पैदा नहीं कर रहे हैं, जिसका परिणाम आज यह देखने को मिल रहा है।
लाखों-करोड़ों रुपये के कोठी बंगलों में केवल बूढ़े पति-पत्नी ही रहते हैं। उनको समय पर पानी पिलाने वाला भी नहीं है। समाज के पास धन-दौलत की कमी नहीं है। मगर समय पर संतान को जन्म नहीं देने पर यह सब बेकार है। हमारे समाज में संपत्ति दिन प्रतिदिन लगातार बढ़ रही है। लेकिन संतानें नहीं हो रही हैं। सभ्य समाज की संताने नहीं होने पर समाज का देश में कौन करेगा, पैरवी जिसके चलते इन्होंने मातृशक्ति को तीन से अधिक संतान पैदा करने की अपील की है। यदि केवल धन कमाने से ही कुछ नहीं होगा, हमारा देश भी बर्बाद हो जाएगा।
अमर उजाला से विशेष बातचीत के दौरान बोले कि हमने एक मुहिम शुरू की है। माहेश्वरी समाज में तीन से अधिक संतान होने पर पहले कन्या के जन्म पर 50 हजार रुपये उनके नाम से बैंक में जमा करवा देते हैं। मगर अब यह हमने कन्या ही नहीं सभी के लिए कर दिया। यानी हमारे समाज में लड़के होने पर भी प्रोत्साहन राशि देनी शुरू कर दी है। अगर दूसरा समाज भी ऐसा करना चाहता है तो वह भी पहल कर सकता है। उनको भी यह प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। यदि संतान ही नहीं होगी तो संस्कृति कैसे बचेगी।
कौन है ये शख़्स
प्रदेश कोषाध्यक्ष रामकुमार भूतड़ा का जन्म नागौर जिले के डेगाना तहसील के डोडियाना गांव का साल 1949 को शिवदयाल भूतड़ा के घर जन्मे। भूतड़ा का परिवार मध्यम वर्गीय परिवार था। भूतड़ा का गांव सुख-सुविधाएं और पिछड़ापन था। पढ़ाई पारीक संस्कृत विद्यालय मेड़ता सिटी, कक्षा नौ- 10 साई नाथ विद्या मंदिर बड़ायली में पढ़ाई की। 12 की पढ़ाई पत्राचार से उत्तीर्ण की। 18 वर्ष कागजों में 21 वर्षीय उम्र में शिक्षक बन गए। राष्ट्रवादी विचार धारा के चलते उन्होंने आरएसएस से जुड़ गए। लगातार विरोध होने पर उन्होंने शिक्षक पद को इस्तीफा दे दिया।
तन-मन-धन मानव जीवन पर कर दिया न्योछावर
भूतड़ा ने एक ऐसी मिशाल बन गई। यह त्रिवेणी के धनी बन गए। इन्होंने अपना जीवन तीनों क्षेत्रों में लगा दिया। इन्होंने एक अलग पहचान बनाई सफल ग्रेनाइट स्टोन व्यापारी के रूप में उभरे। इन्होंने अपनी शुरुआत शून्य से कर शिखर की ऊंचाई हासिल कर ली।
दूसरी सबसे बड़ी पहचान यह रही की निस्वार्थ समर्पित समाजसेवी के रूप में हुई इन्होंने समाज को जहां पर आवश्यकता पड़ी तन मन धन से समर्पित भाव से अपना पूरा योगदान दिया। श्री भूतनाथ सेवा संस्थान अ.भा. माहेश्वरी सेवा सदन के दो सत्रों तक सतत रूप से अध्यक्ष पद पर रहे। उस दौरान उन्होंने इस संस्था में ऐसा चहुमुखी विकास किया, जो कि आज इतिहास बन गया। अ. भा. माहेश्वरी महासभा के महामंत्री के रूप में भी अपनी सेवाएं दी थी।
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