राजस्थान में एक बार फिर राजकीय कर्मचारी सड़क पर उतर आए हैं। सरकारी गुड गवर्नेंस मॉडल के दावों के बीच कर्मचारियों ने अपनी वर्षों पुरानी मांगों के समाधान के लिए संघर्ष चेतना यात्रा शुरू की है। अखिल राजस्थान राज्य संयुक्त कर्मचारी महासंघ की यह यात्रा प्रदेशाध्यक्ष महावीर शर्मा के नेतृत्व में सोमवार को टोंक पहुंची। टोंक के डाक बंगले पर जिला अध्यक्ष जसवंत सिंह नरूका के नेतृत्व में कर्मचारियों ने यात्रा का स्वागत किया और बैठक आयोजित की, जिसमें विभिन्न घटक संगठनों के सदस्य शामिल हुए।
मांगों पर कार्रवाई नहीं, कर्मचारियों में गहरा रोष
बैठक को संबोधित करते हुए महावीर शर्मा ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें कर्मचारियों के हितों की अनदेखी कर रही हैं। उन्होंने बताया कि पदोन्नति विसंगतियों को दूर करने, एनपीएस संबंधी आदेश रद्द कराने, ओपीएस में किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ रोकने, पारदर्शी स्थानांतरण नीति लागू करने, आरजीएचएस में कटौती बंद करने जैसी कई मांगों को लेकर संघर्ष चेतना यात्रा निकाली गई है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार ने कर्मचारियों की सुध नहीं ली, तो एक विशाल रैली आयोजित की जाएगी। उन्होंने दावा किया कि 8 लाख शिक्षकों के पीछे 8 करोड़ प्रदेश की जनता खड़ी है।
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‘सरकार ने तनावपूर्ण माहौल बना दिया, कर्मचारियों का सामाजिक जीवन छीना’
महावीर शर्मा ने आरोप लगाया कि प्रदेश में भय और तनाव का ऐसा वातावरण बना दिया गया है कि कर्मचारियों का सामाजिक और सार्वजनिक जीवन खत्म हो गया है। उन्होंने कहा कि सरकार आने के बाद दो वर्षों में योजनाओं को लागू करने के बजाय केवल अभियान चलाकर फर्जी आंकड़े तैयार करवाए गए। उन्होंने बताया कि ईद, दीपावली, शनिवार या रविवार किसी भी दिन अवकाश का ध्यान रखे बिना सरकारी आयोजन रख दिए जाते हैं, जिससे कर्मचारी निरंतर दबाव में काम कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अत्यधिक तनाव के चलते कुछ कर्मचारी आत्महत्या का प्रयास भी कर चुके हैं। उन्होंने सरकार को नसीहत देते हुए कहा कि फौरी योजनाओं से कुछ नहीं होगा। यदि जनता को बेहतर शासन देना है, तो कर्मचारियों के साथ मिलकर ठोस योजनाएं बनानी होंगी।
कई कर्मचारी संगठन के पदाधिकारी हुए शामिल
बैठक में प्रदेश कोषाध्यक्ष प्रहलाद चौधरी, आयुर्वेद परिचालक संगठन के प्रदेशाध्यक्ष महेंद्र तिवारी, शिक्षक संघ शेखावत प्रदेश उपाध्यक्ष रामलाल डागर, दीपक खींचीं सहित कई जिला और प्रदेश स्तरीय पदाधिकारी उपस्थित रहे। सभी ने संघर्ष चेतना यात्रा को समर्थन दिया और आंदोलन को आगे बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की।
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