उदयपुर शहर से लगभग 10 किलोमीटर दूर स्थित कानपुर ग्राम पंचायत को उदयपुर नगर निगम में मिलाए जाने के प्रस्ताव के खिलाफ ग्रामीणों में जबरदस्त आक्रोश देखा गया। सोमवार को इसके विरोध में गांव का बाजार पूरी तरह बंद रहा, वहीं हजारों ग्रामीणों ने रैली निकालकर जिला कलेक्ट्रेट पहुंचकर जोरदार प्रदर्शन किया।
प्रदर्शन के दौरान ग्रामीणों ने कलेक्ट्रेट परिसर में प्रवेश की कोशिश की और बेरिकेड्स हटाने लगे, उसके बाद पुलिस ने मोर्चा संभाला। बाद में उनके प्रतिनिधिमंडल ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपते हुए अपना विरोध दर्ज कराया।
12 गांवों के ग्रामीण हुए शामिल
कानपुर, खरबड़िया, खेड़ा कानपुर, कलड़वास, पारा खेत, भोइयों की पंचोली, मटून, टीलाखेड़ा, कमलोद और डागियों की पंचोली समेत आस-पास के कई गांवों से बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने प्रदर्शन में भाग लिया। सुबह से ही गांव के बाजार बंद रखे गए थे और विरोध के स्वर तेज होते नजर आए।
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वाहन रैली निकाल कर पहुंचे ग्रामीण
प्रदर्शन से पहले ग्रामीणों ने कानपुर बस स्टैंड से एक बड़ी वाहन रैली निकाली जो उदयपुर पहुंची। इसके बाद सभी कलेक्ट्रेट के पास एकत्र हुए और अपनी नाराजगी जाहिर की।
शहरी सीमा में आने की जरूरत नहीं
कानपुर के पूर्व उप सरपंच मदनलाल डांगी ने कहा कि यह आंदोलन किसी एक वर्ग का नहीं बल्कि सर्व समाज की ओर से है। उन्होंने स्पष्ट किया कि ग्रामीण किसान, व्यापारी और पशुपालक नगर निगम की सीमा में शामिल होने के पक्ष में नहीं हैं। इसके बावजूद जबरन निर्णय लिया गया है, जिससे आक्रोश है।
अब तक कोई विकास नहीं हुआ
ग्रामीणों का कहना है कि उनके क्षेत्र कानपुर, खरबड़िया, खेड़ा कानपुर वेटलैंड और ग्रीन बेल्ट में आते हैं। पहले भी यूआईटी ने इन्हें अपने परिधि क्षेत्र में लिया था, लेकिन धरातल पर विकास कार्यों की बात करें तो एक रुपए का भी विकास नहीं हुआ है। उनका कहना है कि इस क्षेत्र में अभी शहरीकरण की कोई आवश्यकता नहीं है।
विधायक से नाराजगी
ग्रामीणों ने उदयपुर ग्रामीण विधायक फूलसिंह मीणा के प्रति भी नाराजगी जताई। उनका कहना है कि विधायक ग्रामीणों की समस्याओं को गंभीरता से नहीं ले रहे और लोगों की आवाज को अनसुना किया जा रहा है।