दिव्यांगता शरीर से नहीं मस्तिष्क से होती है। भगवान हमें जिस हाल में रख रहे हैं, वह हमारे लिए सबसे अच्छा है। जो होता है वह हमेशा अच्छे के लिए होता है, जो होगा वह भी अच्छे के लिए होगा। जीवन में हमेशा खूब रहिए, कभी निराश न हो, जो कार्य अच्छी नियत से किया जाता है वह हमेशा सफल होता है। बरेली में जीवन का यह मंत्र कारगिल युद्ध के दौरान दोनों पैर व एक हाथ गंवा चुके नायक दीपचंद ने पीलीभीत रोड स्थित एक होटल में आयोजित प्रेस वार्ता में कहीं। वह माधव राव सिंधिया स्कूल में आयोजित होने वाले वार्षिकोत्सव में शामिल होने शहर पहुंचे।
उन्होंने कहा अब शहीद जवानों की बोली लगने लगी है, कोई सरकार उन्हें शहीद होने के बाद उन्हें पांच लाख रुपये देती है तो कोई 10 लाख, ये बहुत गलत हैं। जवान के शहीद होने के बाद अगर उनके परिवारों को कुछ देना है तो सरकार उनके घर जाकर दें, ना कि पूरे समाज को बता कर। बताया कि कारगिल युद्ध के दौरान उन्होंने 12 हजार गोले दागे। युद्ध के दौरान वह गंभीर रूप से घायल हो गए, उनके साथियों ने उन्हें मृत मान लिया। लेकिन अस्पताल में डॉक्टरों ने बताया कि पांच प्रतिशत इनके बचने की संभावना है।
जिस पर उनके कमांडिंग अफसर से कहा कि सिर छोड़कर सब काट देना लेकिन जान बचानी चाहिए। उन्हें 17 बोतल खून चढ़ा, 12 घंटे बाद उन्हें होश आया और तीन साल तक अस्पताल में वह भर्ती रहे। कहा कि जब युद्ध हुआ तो उनका बड़ा बेटा महज डेढ़ का साल का था, पत्नी को कई महीनों तक ये डॉक्टरों ने बताया ही नहीं कि उनके दोनों पैर व एक हाथ कट चुका है।
कभी सोचा नहीं था कि उठ कर खड़ा हो पाऊंगा
दीपचंद ने कहा कि मेरे परिवार में कोई सेना में नहीं है। नेता जी सुभाष चंद्र बोस की प्रेरणा लेकर सेना में भर्ती हुए। पिता ने सेना में जाने के लिए मना किया लेकिन दादा ने कहा कि एक बेटा देश को दें दो दूसरा तुम्हारा ख्याल रखेगा। पहले युद्ध के बाद मृत शरीर नहीं टेलीग्राम आते थे। कभी सोचा नहीं था कि उठकर खड़ा हो पाऊंगा, लेकिन मन में इच्छा थी कि एक बार खड़ा होकर दिखाऊंगा। परिवार के बारे में सोचा दो बेटे एक बेटी को कौन देखेगा। ऐसे जिंदा रहने से क्या फायदा जो अपने परिवार की देखभाल भी न कर पाए। जिसमें बार गीता में लिखे श्लोक पढ़े और उसके छह महीने बाद ही अपने पैर पर खड़ा हो सका। 2005 में वह सेना से रिटायर हुए।
कार चलाकर बनाया रिकॉर्ड
दिव्यांग होने के बाद भी दीपचंद ने कार चलाकर रिकार्ड बनाया है। वह स्कूटी, साइकिल चला लेते है। बताया कि कारगिल की 25वीं वर्षगांठ पर 25 दिन में सात हजार किलोमीटर कार चलाई। सियाचीन, चाईना बॉडर समेत कई जगह गए, और सैनिकों को अपना मूमेंटों दिया। कहा कि भर्ती के दौरान 6.5 फिट का था अब 3.5 फिट का ही रह गया हूं। एक बेटी को उन्होंने गोद लिया है और वह कक्षा 11 में पढ़ रही है। वहां कि दुनिया में युद्ध जैसे हालात है लेकिन हमें अपने देश में हो रहे गृह युद्ध का रोकना होना। लोगों की अपने विचार को बदलना होगा, जिससे देश और बेहतर हो सके।
महिलाओं अपने अंदर बढ़ाए आत्मविश्वास
मिसेज इंडिया इंटरनेशनल रही 2022 रही विनीता भाटिया ने कहा कि महिलाओं में सौंदर्य की प्रतिस्पर्धा बहुत बढ़ गई है। हमें अपने चेहरे के साथ अपने आत्म विश्वास को भी बढ़ाना होगा। आप के अंदर चीजों को समझ कर उनका सामना करना आना चाहिए। रंग के गोरे काले होने से कोई फर्क नहीं पड़ता। कई देशों ने डार्क रंग की महिलाएं भी खिताब अपने नाम किए हैं।