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Meerut: दो कर्मचारियों के भरोसे खिवाई पीएचसी, भवन निर्माण में भी बड़ा भ्रष्टाचार
मेरठ। सरूरपुर कस्बा खिवाई में स्थित पीएचसी मूलभूत सुविधाओं से वांचित है। पीएचसी में केवल कुछ ही बीमारियों का ईलाज हो रहा है। जबकि अभी मरीजों को जांच व डिलीवरी के लिए सीएचसी का रूख अपनाना पड़ता है। मात्र दस महीने में पीएचसी के भवन की दीवारों का प्लास्टर भी छुटकर गिरने लगा है। जो पीएचसी के निर्माण के समय भ्रष्टाचार की भी पोल खोल रहा है। परिसर के चारों और गंदगी का अंबार लगा है। अमर उजाला की टीम ने मौके पर पहुंचकर पीएचसी के कार्यशैली की भी पड़ताल की है। सोमवार को जब अमर उजाला की टीम पड़ताल के लिए ग्राउंड पर पहुंची तो खुलासा हुआ कि पीएचसी के निर्माण में बड़े स्तर का भ्रष्टाचार हुआ है। जबकि पीएचसी भवन के चारों ओर घास व गंदगी का अंबार लगा हुआ है। मौके पर एक चिकित्सक मरीजों का उपचार करते मिले। जबकि मरीजों को पंजीकरण व दवाईयां वितरण के लिए एक ही कर्मचारी की तैनाती है। पीएचसी में प्रतिदिन करीब 70-80 मरीज ईलाज के लिए आते है। कुल मिलाकर एक चौकीदार समेत तीन कर्मचारियों के भरोसे पीएचसी चल रही है। पीएचसी में खून की जांच व प्रसव के लिए फिलहाल कोई व्यवस्था नहीं है। इन सुविधाओं को लेने के लिए लोगों को सीएचसी सरूरपुर जाना पड़ता है। करीब पचास हजार की आबादी वाले कस्बा में मूलभूत सुविधाओं की अवश्यकता है। जिसमें पीएचसी में केवल दो कर्मचारियों के भरोसे ओपीडी ही चल रही है। स्थानीय निवासी नदीम ने बताया कि खून की जांच की के लिए उन्हें भटकना पड़ता है। यदि पीएचसी में पर ही यह सुविधा हो तो मरीजों का ईलाज भी ठीक होगा। अजीम ने बताया पीएचसी के भवन निर्माण बडे स्तर पर भ्रष्टाचार हुआ है। दस माह में ही दीवारों का प्लास्टर पोल खोल रहा है। पचास हजार की आबादी वाले कस्बा में बुलियादी सुविधाओं की कमी है। इदरिश ने बताया कि उसे सांस की बिमारी है। कुछ दवाईयां ही पीएचसी मेंं मिलती है। जबकि कुछ दवाओं को लेने के लिए उन्हें सीएचसी में जाना पड़ता है। शबाना ने बताया कि कस्बा की महिलाओं के लिए प्रसव की सबसे बड़ी समस्या है। जबकि पीएचसी में यह सुविधा होती है। बावजूद इसके उन्हें यह सुविधा लेने के लिए सीएचसी जाना पड़ता है। पीएचसी में प्रसव कक्ष तो है लेकिन सुविधा नहीं।
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